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लोकतंत्र के सबसे बड़ा पर्व यानी आम चुनाव 2024 के नतीजे सामने आए तो बीजेपी और कांग्रेस के नेता अपनी-अपनी वजहों से खुशी से झूम उठे. बीजेपी के समर्थक इस बात से खुश थे कि भले ही पार्टी को पिछली बार जितनी सीट न मिली हो लेकिन उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेता और समर्थक इस बात से खुश हैं पिछले दो चुनावों के मुकाबले उनकी सीटें बढ़ीं है और उनके गठबंधन ने बीजेपी को अकेले बहुमत के आंकड़े को पार करने से रोक दिया.
लेकिन इन सब शोर के बीच आम आदमी पार्टी और इनके नेताओं की चर्चाएं दब गईं.
इस आर्टिकल में हम समझेंगे कि 18 वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों में आम आदमी पार्टी को कितनी सीटें मिली और क्या पार्टी का कद इस चुनाव में बढ़ा या कम हुआ?
आम आदमी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और असम की 22 सीटों पर चुनाव लड़ रही थीं. पार्टी को पंजाब में तीन सीटें जीतने में कामयाब रही. पिछले चुनाव में पार्टी को सिर्फ एक सीट हाथ लगी थी. वहीं साल 2014 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, पटियाला और संगरूर लोकसभा सीट जीती थीं.
लेकिन इस चुनाव में 3 सीट जीतने के बाद पार्टी में कितनी जान आई है हम इसका विशलेषण करेंगे.
सबसे पहले जानते हैं किन सीटों पर हुई है जीत:
संगरूर- 1 लाख 72 हजार वोटों के अंतर से जीत
आनंदपुर साहिब- करीब 11 हजार वोटों के अंतर से जीत
होशियारपुर- 44 हजार वोटों के अंतर से जीत
आम आदमी पार्टी ने सिर्फ पंजाब में सीटें जीती हैं. बाकी दिल्ली, हरियाणा, गुजरात और असम में AAP को एक भी सीट नहीं मिली. पंजाब में पार्टी का वोट शेयर 26.02 प्रतिशत है जबकि 7 सीटें जीतने वाली कांग्रेस का वोट प्रतिशत 26.30 है.
वहीं हरियाणा में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 3.94 प्रतिशत है जबकि गुजरात में वोट शेयर 2.69 प्रतिशत है. असम में पार्टी के वोट शेयर महज 0.85 प्रतिशत है.
आम आदमी पार्टी अपने अस्तित्व के सबसे मुश्किल वक्त से गुजर रही है. पार्टी के शीर्ष नेता जेल में बंद हैं और ऐसे में पार्टी के लिए आगे की राह क्या हो सकती है इसे लेकर क्विंट हिंदी ने पंजाब की राजनीति पर नजर रखने वाले पंजाब यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर आशुतोष कुमार से बात की.
आशुतोष कुमार कहते हैं, "पार्टी को भले ही सीटों का फायदा हुआ हो लेकिन इस नतीजे से उसे झटका लगा है. जब से पार्टी अस्तित्व में आई है तब से सिर्फ पंजाब से ही लोकसभा सीट जीत सकी है. पार्टी को दूसरे राज्यों में मौका नहीं मिल रहा था. इस चुनाव नतीजे के बाद ये तय हो गया है कि आम आदमी पार्टी पंजाब में ही सीमित होकर रह गयी है."
विधानसभा में आम आदमी पार्टी के नुकसान की आशंकाओं को लेकर प्रो. आशुतोष कहते हैं, "विधानसभा चुनावों का इस चुनाव से कोई लेना देना नहीं है. विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में हमेशा स्थानीय मुद्दे अहम नहीं होते हैं. इसलिए ये कहना की AAP को दिल्ली या पंजाब की आने वाली विधानसभा चुनाव में नुकसान होगा, ये बिल्कुल गलत है. हां, टॉप लीडरशिप के बगैर पार्टी को संभालना मुश्किल हो गया है. पार्टी के प्रमुख नेता जेल में बंद हैं और पंजाब में सिर्फ सीएम भगवंत मान के ऊपर सारा दारोमदार आ गया. भगवंत मान को पार्टी जोड़े रखने का अनुभव नहीं है इसलिए पार्टी पर कुछ हद तक असर पड़ेगा लेकिन विधानसभा में इसका बहुत असर नहीं पड़ेगा."
पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़ा. इसके बावजूद पार्टी सिर्फ 3 सीटों हासिल कर पाई. पंजाब के स्थानीय पत्रकारों के बीच ये राय है कि अगर पार्टी गठबंधन में चुनाव लड़ती तो शायद सीट बंटवारे में उसके हिस्से ज्यादा सीटें आती और कांग्रेस का वोट शेयर आम आदमी पार्टी के पक्ष में काम करता.
हालांकि आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय और संजय सिंह ने कहा है कि पंजाब में पार्टी को फायदा हुआ है और अब संसद में उनका प्रतिनिधित्व बढ़ेगा.
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