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आरुषि मर्डर केस, देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री . इस केस में 9 साल तक इतनी चीजें बदली हैं, इतनी बार बदली हैं कि केस पर पैनी नजर रखने वाले भी कई बार धोखा खा गए. हर जांचदल ने मौका-ए-वारदात को अपनी तरह से पढ़ा, अपनी तरह से सुबूत जुटाए
आरुषि केस में मर्डर वेपन या कहें कत्ल के हथियार को लेकर कई थ्योरी चलीं. हम उन्हीं कुछ थ्योरी को आपके सामने ज्यों का त्यों रख रहे हैं.
कहा गया कि आरुषि-हेमराज पर गॉल्फ क्लब से वार किया गया. आपको बताते चलें कि 'क्लब' गॉल्फ स्टिक को ही कहा जाता है. 24 मई 2010 को ‘पायनियर’ अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि सीबीआई एक गायब गॉल्फ क्लब को ढूंढ़ रही है. हालांकि, सच ये है कि राजेश तलवार की गॉल्फ किट सभी 12 क्लब के साथ सीबीआई ने अक्तूबर 2009 में ही कब्जे में ले ली थी.
सीबीआई के जांचकर्ता एजीएल कौल ने डॉ. सुनील दोहरे से पूछा, "क्या आरुषि की हत्या गॉल्फ क्लब से हुई है. दोहरे का जवाब था, "आरुषि के माथे पर लगी चोट V-शेप में है. लगता है कि ये किसी भोथरी, भारी चीज से की गई है. हो सकता है ये गॉल्फ क्लब हो.
यहां ये माना जा सकता है कि अगर मर्डर वेपन गॉल्फ क्लब हो भी तो वो कोई एक क्लब होगा. क्लब चार तरह के होते हैं.- ड्राइवर, वुड, आइरन, पटर. हर टाइप का अलग शेप-साइज होता है.
फॉरेंसिक लैब ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, "जब सभी 12 गॉल्फ क्लब को माइक्रोस्कोप के नीचे देखा गया तो क्लब नंबर 3 और 5 के सिरे पर बेहद कम मात्रा में मिट्टी मिली. बाकी क्लब तकरीबन साफ थे. ज्यादा ही साफ क्लबों में एक ‘वुड’ था और दूसरा ‘आइरन’.”
ये रिपोर्ट सीबीआई के गॉल्फ किट कब्जे में लेने के 8 महीने बाद आई थी. सीबीआई ने थ्योरी दी कि जो ‘आइरन’ कमोबेश साफ हालत में है, हो न हो, कत्ल उसी से हुआ है. दिसंबर 2010 में दाखिल क्लोजर रिपोर्ट के हिसाब से वो क्लब नंबर 5 था. लेकिन इस थ्योरी में एक छेद था. 5 नंबर का क्लब वो ‘आइरन’ नहीं था जिसे साफ किया गया था.
सबसे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस की नजर में कत्ल का हथियार एक हथौड़ा था. एम्स की मेडिकल कमेटी ने आला-ए-कत्ल, खुकरी बता दिया. सीबीआई के कौल ने इसे 5 नंबर का ‘आइरन’ बता दिया और ट्रायल कोर्ट में सीबीआई ने कहा कत्ल 4 नंबर के ‘आइरन’ गॉल्फ क्लब से हुआ था.
हालांकि, सीबीआई के इन्वेस्टिगेटर एजीएल कौल ने इसका बचाव ये कहकर किया कि वो तलवार के करीबी अजय चड्ढा से गॉल्फ क्लब के बारे में सवालात कर रहे थे और चड्ढा तलवार की ओर से जवाब दे रहे थे. दिलचस्प ये है कि तलवार ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने चड्ढा को कभी खुद के बदले जवाब देने के लिए तय नहीं किया था.
(तथ्य, अविरूक सेन की किताब ‘आरुषि’ से लिए गए हैं)
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