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आरुषि-हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी हुए राजेश और नूपुर तलवार की रिहाई टल गई है. गुरुवार को हाई कोर्ट ने तलवार दंपति को आरोपों से बरी कर दिया था. कोर्ट के आदेश पर शुक्रवार को उनकी रिहाई होनी थी. लेकिन कोर्ट का आदेश डासना जेल तक न पहुंच पाने की वजह से तलवार दंपति को अभी दो दिन और जेल में रहना होगा.
तलवार दंपति के वकील तनवीर मीर ने जानकारी देते हुए बताया कि राजेश तलवार और नूपुर तलवार शुक्रवार को जेल से रिहा नहीं हो पाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि जेल को फैसले की कॉपी नहीं मिली है. बता जें ति जब तक जेल प्रशासन को कोर्ट के फैसले की कॉपी नहीं मिलेगी तब तक रिहाई नहीं हो सकती है. ऐसे में अब तलवार दंपति को दो दिन और जेल में रहना होगा. क्योंकि शनिवार, रविवार को छुट्टी है, ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि दोनों की रिहाई सोमवार को ही हो पाएगी.
डासना जेल के अधीक्षक दधिराम मौर्य ने कहा, हमें अब तक अदालत का आदेश नहीं मिला है. अदालती आदेश मिलने के बाद हम उनको रिहा करेंगे. उन्होंने कहा कि किसी कैदी को जेल से रिहा करने की प्रक्रिया को पूरा करने के दो तरीके हैं.
जेल अधीक्षक ने कहा, या तो इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश की प्रति सीधे जेल प्रशासन को भेजी जाए या फिर इसे सीबीआई कोर्ट के जरिए भेजा जाए, जिसने उनको उम्रकैद की सजा सुनाई थी. मौर्य ने कहा, 99 फीसदी मामलों में हमें डाक के जरिए कोर्ट के आदेश की प्रति मिलती है. अगर हमें फैसले की हॉर्ड कॉपी सीधे सौंप दी जाएगी तो हम उनको रिहा कर देंगे.
सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ तलवार दंपति ने जनवरी 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. गुरुवार को हाईकोर्ट के जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र की बेंच ने केस की जांच में खामी का हवाला देते हुए दोनों को बरी कर दिया.
कोर्ट ने अपने फैसले में सबूतों के अभाव की बात कही. साथ ही तलवार दंपति को रिहा करने के आदेश दिए. हालांकि डासना जेल के जेलर डी के मौर्या ने कहा है, जब तक ऑर्डर नहीं आएगा, तब तक जेल से कोई कार्रवाई नहीं होगी.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि तलवार दंपति को सिर्फ संदेह के आधार पर सजा दी गई थी, जो सही नहीं है. सीबीआई ने जो सबूत पेश किए हैं, उनसे क्राइम सिद्ध नहीं होता. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी इतनी कठोर सजा नहीं देता. ऐसे में तलवार दंपति को जेल से तुरंत रिहा किया जाए.
हाईकोर्ट के 263 पन्नों के फैसले ने 9 सालों से चल रही नोएडा के डेंटिस्ट दंपति की मुश्किलों को कम से कम फिलहाल के लिए खत्म कर दिया है. लेकिन इस फैसले के बाद यह सवाल एक बार फिर खड़ा हो गया है कि आरुषि-हेमराज का हत्यारा कौन है?
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साल 2008 में नोएडा के जलवायु विहार में आरुषि-हेमराज हत्याकांड हुआ था. उत्तर प्रदेश पुलिस से लेकर सीबीआई तक ने इस केस की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की. हत्यारे की तलाश में सीबीआई ने जब तथ्य खंगाले, तो शक की सुई घूमकर तलवार दंपति पर ही जा टिकी. जांच रिपोर्ट पेश की गई और सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपति को दोषी ठहराते हुए जेल भेज दिया.
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