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मुंबई में 1993 में हुए सीरियल ब्लास्ट केस में टाडा कोर्ट ने सजा का ऐलान कर दिया है. अबू सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और साथ ही 2 लाख का जुर्माना भी लगा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सजा के ऐलान के बाद अबू सलेम रोने लगा. सलेम को लोगों की हत्या और हथियारों की सप्लाई करने का दोषी माना गया था.
सलेम के अलावा करीमुल्लाह खान को उम्रकैद की सजा सुनाई गई हैं और 2 लाख का जुर्माना लगा है. वहीं ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान को फांसी की सजा सुनाई गई है. रियाज सिद्दिकी को 10 साल की सजा सुनाई गई है.
बम धमाकों से दो महीने पहले, मुहम्मद दोसा (मुस्तफा डोसा के फरार हुए भाई) ने फिरोज अब्दुल रशीद खान और अलबाग और म्हसला के दूसरे आरोपी को कस्टम्स के अधिकारियों और लैंडिंग एजेंटों को लैंडिंग (हथियार और विस्फोटक) के बारे में सूचित करने के लिए भेजा अगले दिन। उन्होंने साजिश बैठकों में भी भाग लिया
साजिश में किसका क्या रोल?
अबू सलेम- धमाकों की साजिश, हथियार और विस्फोटक गुजरात के भरुच से मुंबई लेकर आया. अबू सलेम ने मुस्तफा दौसा और अनीस इब्राहीम के कहने पर इन हथियारों में से कुछ हथियार संजय दत्त और सलीम कुर्ला के अलावा कई लोगों को दिये थे. हथियारों का पूरा कंट्रोल में अबू सलेम के हाथ में था.
ताहिर मर्चेंट- साजिश में शामिल था, वो भारत से मुस्लिम युवाओं को दुबई बुलाता था. वहां से उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेजता था. ट्रेनिंग लेकर वो वापस दुबई आते थे और वहां से भारत आते थे.
करीमुल्लाह शेख- अपने दोस्त को पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग दिलवाई, हथियार और विस्फोटक लाने में मदद की थी.
फिरोज खान- ब्लास्ट से 2 महीने पहले, मोहम्मद दोसा ने फिरोज खान और एक और आरोपी को जानकारी ईधर से उधर करने के लिए भेजा था.
रियाज अहमद- रियाज अहमद ने हथियारों को लेकर जाने के लिए गाड़ी का इंतजाम किया था. इन हथियारों में एके-56 राइफल्स, 100 हैंड ग्रेनेड और मैग्जीन के कई बॉक्स थे.
ये आरोपी मुंबई धमाकों के सिलसिले में साल 2003 से 2010 के बीच में गिरफ्तार किये गए थे. मुंबई धमाकों का मास्टरमाइंड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को माना जाता है, जो 1993 के बाद से किसी देश की पुलिस के हाथ नहीं आया.
कोर्ट ने माना की बाबरी मस्जिद विध्वंस का बदला लेने के लिए ये साजिश रची गई थी. इनके निशाने पर देश के बड़े राजनेता और बड़े अफसर. सलेम धमाकों की साजिश रचने के साथ-साथ, हथियार और विस्फोटक गुजरात के भरुच से मुंबई लेकर आया. उसने मुस्तफा दोसा और अनीस इब्राहीम के कहने पर इन हथियारों में से कुछ हथियार संजय दत्त और सलीम कुर्ला के अलावा कई लोगों को दिये थे. हथियारों का पूरा कंट्रोल में अबू सलेम के हाथ में था.
12 मार्च, 1993 को तेज रफ्तार से दौड़ती मुंबई को अचानक ब्रेक लग गया था, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की इमारत एकदम से हिल गई थी और लोगों ने एक कान फोड़ देने वाला पहला धमाका सुना, फिर यह सिलसिला रुका नहीं, एक के बाद एक 13 धमाके हुए और मुंबई ही नहीं पूरा देश दहल उठा था. इस सीरियल ब्लास्ट में 257 लोगों की जानें गई थी और करीब 27 करोड़ रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था.
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