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भारत सरकार ने महिला अफगान सांसद रंगीना करगर (Rangina Kargar) को दिल्ली एयरपोर्ट से डिपोर्ट किए जाने को 'अनजाने में हुई भूल' बताया है. रंगीना को 20 अगस्त को दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर रोका गया था और फिर उन्हें वापस इस्तांबुल भेज दिया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भारत सरकार ने रंगीना करगर से संपर्क भी किया है और घटना के लिए 'माफी' भी मांगी है. सरकार ने अफगान सांसद से इमरजेंसी वीजा के लिए आवेदन करने को भी कहा है.
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बैठक में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, आनंद शर्मा और अधीर रंजन चौधरी ने इस मुद्दे को उठाया.
नेताओं ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से पूछा, "अफगानिस्तान की एक वेटरन नेता जो लगातार भारत यात्रा करती हैं और जिनके पास राजनयिक पासपोर्ट हैं, उनके खिलाफ ऐसा कदम क्यों उठाया गया?"
बैठक के बाद खड़गे ने मीडिया से कहा, "हमने महिला सांसद को डिपोर्ट किए जाने का मुद्दा उठाया. जयशंकर ने कहा कि वो एक गलती थी और ऐसी घटना भविष्य में दोबारा नहीं होगी. सरकार ने खेद जताया है."
भारत सरकार ने रंगीना करगर से संपर्क किया है और उनसे इमरजेंसी वीजा के लिए आवेदन करने का निवेदन किया है. रंगीना ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने उनसे संपर्क किया है.
रंगीना करगर को डिपोर्ट किए जाने से पहले दिल्ली एयरपोर्ट पर 16 घंटे इंतजार करना पड़ा था. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, महिला सांसद 20 अगस्त को इस्तांबुल से फ्लाई दुबई की फ्लाइट से दिल्ली पहुंची थीं. उन्होंने बताया कि उनके पास राजनयिक/आधिकारिक पासपोर्ट है, जो भारत के साथ समझौते के तहत वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा देता है.
करगर ने कहा कि वो इस पासपोर्ट पर कई बार भारत की यात्रा कर चुकी हैं और उन्हें हर बार आने दिया गया था. लेकिन इस बार इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें रुकने को कहा और जब उन्होंने वजह पूछी तो अधिकारियों ने बताया कि उन्हें अपने वरिष्ठों से बात करनी होगी.
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