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स्टेट और नेशनल हाइवे पर शराबबंदी के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लाखों नौकरियों पर भी खतरा मंडराने लगा है. होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया के मुताबिक, इस आदेश के बाद करीब 10 लाख नौकरियां खतरे में हैं.
एसोसिएशन के अध्यक्ष दिलीप दतवानी के अनुसार, देश के पश्चिमी राज्यों में ही करीब 35 हजार होटल और रेस्तरां पर बंदी की तलवार लटक गई है.
आदेश का असर सिर्फ शराब की दुकानों या बार पर ही नहीं है. फूड इंडस्ट्री पर भी इसका भारी असर पड़ने वाला है.
वहीं शराब के कारोबार से हर साल 12 हजार करोड़ का एक्साइज रेवेन्यू मिलता है, जो घटकर करीब आधा हो जाएगा.
भारत के जीडीपी में ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर की हिस्सेदारी 7 फीसदी की है, जो 3.74 करोड़ जॉब भी पैदा करता है. हाइवे पर शराबबंदी के बाद से इसमें करीब 5 फीसदी यानी 10 लाख जॉब की कमी का अनुमान है.
महाराष्ट्र में 13,655 बार और शराब की दुकानें हैं. आदेश के बाद सिर्फ मुंबई की ही 290 ऐसे बार और दुकानों पर खतरा है. वहीं मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र की 2 हजार और महाराष्ट्र के दूसरे इलाकों की 9,925 बार और शराब की दुकान बंद हो जाएंगे.
गुरुग्राम का साइबर हब भी ऐसा ही इलाका है, जहां नए आदेश की भारी मार पड़ी है. द क्विंट से इस क्षेत्र के हार्ड रॉक कैफे के एक प्रतिनिधि ने बताया कि उनके कारोबार का 80 फीसदी रेवेन्यू शराब से ही आता है. ताजा आदेश के बाद से इस रेवेन्यू में भारी कमी आने वाली है.
सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर, 2016 को नेशनल और स्टेट हाइवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों को बैन कर दिया था. इसी मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट नेअपने फैसले को पलटने से इनकार कर दिया है.
कोर्ट ने निर्देश दिया कि शराब की दुकानों के लाइसेंस की अवधि 31 मार्च से आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. यानी 1 अप्रैल से दुकानों को बंद करना होगा.
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