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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में एक दशक से ज्यादा समय के बाद किसी महिला जज को जगह मिली है. रविवार को कॉलेजियम में जस्टिस आर भानुमति को शामिल किया गया. जस्टिस भानुमति को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायर होने के बाद कॉलेजियम में शामिल किया गया है. 17 नवंबर को जस्टिस रंजन गोगोई के कार्यकाल का आखिरी दिन था. जस्टिस भानुमति सुप्रीम कोर्ट में सीनियरटी के मामले में पांचवें नंबर पर हैं.
जस्टिस भानुमति से पहले कॉलेजियम में आखिर महिला जज रुमा पाल थीं. जस्टिस पाल, 2 जून, 2006 को रिटायर हुई थीं. 28 जनवरी, 2000 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया था. वह तीन साल तक सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सदस्य रहीं.
सितंबर में जस्टिस आर भानुमति ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और कॉलेजियम सदस्यों को चिट्ठी लिख कर सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश में सीनियरिटी का सम्मान करने के लिए कहा था. उन्होंने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वी सुब्रमण्यम की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश का विरोध किया था. उन्हें मणिपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रामलिंगम सुधाकर की सीनियरिटी को नजरअंदाज करने पर ऐतराज था. जस्टिस सुधाकर, जस्टिस सुब्रमण्यम से सीनियर थे.
जस्टिस आर भानुमति 3 अप्रैल 2003 को मद्रास हाई कोर्ट कोर्ट की जज बनी थीं. 16 नवंबर 2013 को उन्हें झारखंड हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया. इसके बाद वह 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट की जज बनीं.
जस्टिस भानुमति निर्भया गैंग रेप और मर्डर केस में दोषियों को मौत की सजा सुनाने वाली तीन सदस्यीय बेंच में शामिल थीं. हाल में उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से आईएनएक्स केस में पी चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज करने के फैसले को हरी झंडी दी थी. हालांकि इसी केस में सीबीआई की ओर से दायर केस में उन्होंने चिदंबरम को रेगुलर बेल दे दी थी.
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए जजों के नाम सुझाने के लिए कॉलेजियम सिस्टम का गठन हुआ है. जजों के ट्रांसफर की सिफारिश भी कॉलेजियम ही करता है. सुप्रीम कोर्ट में यह सिस्टम 1993 में एक न्यायिक आदेश के जरिये लाया गया था.
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