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क्विंट हिंदी से बात करते हुए ये आग उगलते आरोप लगाए हैं ऑल इंडिया बैंकिंग एम्पलॉयज एसोसिएशन (AIBEA) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने.
नोटबंदी के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के इंतजामों से नाराज देश की सबसे पुरानी बैंक यूनियन AIBEA ने लाखों कर्मचारियों को साथ धरने और विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है. इस विरोध में ऑल इंडिया बैंकिंग ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA) भी AIBEA के साथ है. इन दोनों यूनियन के झंडे तले देश भर के करीब साढ़े पांच लाख कर्मचारी आते हैं.
वेंकटचलम के मुताबिक
नोटबंदी के बाद लोगों और बैंक कर्मचारियों को हो रही दिक्कतों से वेंकटचलम परेशान हैं. उनका कहना है:
सरकार ने लोगों को एक हफ्ते में 24,000 रुपये देने का वादा किया था. लेकिन बैंक शाखाओं को कैश भेजा नहीं जा रहा. अगर आरबीआई कैश नहीं दे सकता, तो उसे फिलहाल कैश लेन-देन पर पूरी तरह रोक लगा देनी चाहिए.
आयकर विभाग और पुलिस के छापों में हर दिन पकड़े जा रहे करोड़ों रुपये की नई करेंसी पर भी वो सवाल उठाते हैं. वेंकटचलम के मुताबिक, ये एक बड़ा घपला है जिसकी जांच होनी चाहिए.
हमें शक है कि या तो आरबीआई गुपचुप तरीके से लोगों को पैसा दे रहा है या फिर एटीएम ऑपरेटर. कहीं ने कहीं से तो पैसा निकल रहा है. इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए.
वहीं AIBOA के महासचिव एस नागराजन तमाम समस्याओं की जड़ रिजर्व बैंक को मानते हैं.
क्विंट हिंदी से बात करते हुए उन्होंने कहा:
अगर मेरे सिर में दर्द है ,तो मैं सिरदर्द की गोली लूंगा. लेकिन आरबीआई चाहता है कि मैं सिर ही कटवा लूं.
हालांकि 5000 रुपये से ज्यादा की रकम जमा करने पर किसी भी तरह की पूछताछ पर रिजर्व बैंक ने रोक लगा दी है, लेकिन बैंक कर्मचारियों की चिंता बरकरार है.
बैंक और एटीएम की कतारों में खड़े आम लोगों के साथ अब बैंक कर्मचारियों का गुस्सा भी फूटने लगा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से 50 दिन की जो मियाद मांगी थी, वो खत्म होने को है. कैश की डिमांड और सप्लाई में भारी अंतर है. लेकिन सरकार के पास समाधान की जगह सिर्फ आश्वासन है.
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