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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने 24 जुलाई, शुक्रवार को भारत की पहली स्वदेशी कोरोना वायरस वैक्सीन 'Covaxin' पहला एडमिनिस्टर्ड ट्रायल दिल्ली के ही रहने वाले 30 साल के व्यक्ति पर किया है. एम्स की एथिक्स कमिटी से इस भारतीय वैक्सीन के ट्रायल के लिए मंजूरी मिलने के बाद वैक्सीन के ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल का ये पहला चरण है.
एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट में काम करने वाले प्रोफेसर डॉ. संजय राय जो कि इस स्टडी के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर हैं उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि इस वैक्सीन के डोज का प्रयोग दिल्ली के ही एक शख्स पर किया गया है.
कोवैक्सीन दिए जाने के बाद 2 घंटे तक शख्स को खास देखरेख में रखा गया. तत्काल में कोई भी साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है. शख्स को अगले एक हफ्ते तक मॉनीटर किया जाएगा. डॉ. राय ने ही बताया कि एम्स में वैक्सीन के ट्रायल के लिए 3500 वॉलेंटियर रजिस्टर कर चुके हैं. आने वाले दिनों में और वॉलेंटियर्स की स्क्रीनिंग करके वैक्सीन ट्रायल के लिए दिया जाएगा.
इन पेशेंट को हेल्थ कार्ड दिया गया है, जिससे कि उनकी मेडिकल हालत का ब्योरा रखा जा सके. डॉक्टर्स इन लोगों की एक हफ्ते तक टेलीफोन पर जानकारी लेते रहेंगे.
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक इस वैक्सीन का ट्रायल दो फेज में 12 साइट्स पर होगा. दिल्ली एम्स के अलावा पटना एम्स और भी कुछ जगहों पर कोवैक्सिन का टाइल होगा.
एम्स की तरफ से डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया कि फेज-1 का ह्यूमन ट्रायल 18 साल से लेकर 55 साल के उन लोगों पर किया जाएगा, जिन्हें कोई भी अन्य बीमारी ना हो. इस ट्रायल के लिए कुल 1125 लोगों के सैंपल लिए जाएंगे. जिसके बाद पहले फेज में 375 हेल्दी लोगों पर इसका ट्रायल होगा, वहीं दूसरे फेज में 12 से लेकर 65 साल तक की उम्र के कुल 750 लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा.
कोरोना वैक्सीन की डेडलाइन को लेकर कुछ दिन पहले काफी विवाद भी हुआ था. आईसीएमआर की तरफ से कहा गया था कि 15 अगस्त तक कोरोना वैक्सीन को लॉन्च करने की तैयारी है. जिसके बाद तमाम साइंटिस्ट्स और एक्सपर्ट्स ने सवाल उठाए थे कि इतनी जल्दी वैक्सीन लॉन्च कैसे की जा सकती है.
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