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एयर इंडिया (Air India) ने न्यू यॉर्क के एक कोर्ट से ब्रिटिश तेल कंपनी केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) की याचिका खारिज करने की अपील की है. केयर्न ने भारत सरकार के खिलाफ 1.2 बिलियन डॉलर आर्बिट्रल अवॉर्ड लागू करने के लिए एयर इंडिया की संपत्ति जब्त करने को लेकर याचिका डाली थी. एयरलाइन ने कहा है कि याचिका 'अपरिपक्व' है क्योंकि आर्बिट्रेशन अवॉर्ड के खिलाफ अपील लंबित है.
भारत सरकार ने एक वाशिंगटन कोर्ट में आर्बिट्रल अवॉर्ड की पुष्टि के लिए दाखिल केयर्न एनर्जी का केस रद्द करने की अपील की है. एयरलाइन की अपील इससे अलग है.
एयर इंडिया ने अपनी अपील में कहा कि ये न्यू यॉर्क कोर्ट के अधिकारक्षेत्र से बाहर है कि वो एक 'काल्पनिक सवाल' पर फैसला सुनाए या ऐसी घटना पर जो भविष्य में शायद हो न हो.
केयर्न एनर्जी ने 2007 में अपनी भारतीय इकाई केयर्न इंडिया को सूचीबद्ध कराया था. 2011 में उसने कंपनी की 10% हिस्सेदारी अपने पास रख कर बाकी 90% हिस्सेदारी वेदांता लिमिटेड को बेच दी थी .
नीदरलैंड के हेग स्थित PCA की तीन जजों वाली बेंच ने दिसंबर 2020 में अपना निर्णय दिया. गौर करने की बात है कि इनमें से एक जज को भारत से हैं. अदालत ने 582 पेज के फैसले में माना कि केयर्न एनर्जी की भारतीय इकाई केयर्न्स इंडिया पर बैक डेट से लगा टैक्स ठीक नहीं है. इसके साथ ही ये भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संधि के विपरीत भी था. निर्णय कंपनी के पक्ष में सुनाते हुए ट्रिब्यून ने भारत सरकार को 1.2 बिलीयन डॉलर देने को कहा. हालांकि सरकार ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए वहीं के एक लोअर कोर्ट में अपील दायर कर दी.
टैक्स विवाद में भारतीय सरकार के खिलाफ 1.2 बिलियन डॉलर का केस जीतने के बाद केयर्न एनर्जी ने न्यूयॉर्क के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में वहां एयर इंडिया की संपत्तियों पर दावा कर दिया. कंपनी ने तर्क दिया है कि "कानूनी रूप से भारत सरकार और एयर इंडिया में नाम मात्र का भी फर्क नहीं है. दोनों को अलग मानना भारत सरकार को अनुचित मदद देगा. कुल मिलाकर कंपनी के मुताबिक जो देनदारी भारत सरकार की है, और वो अगर नहीं दे रही तो एयर इंडिया जैसी सरकारी भारतीय कंपनियों की संपत्तियां जब्त कर वसूल ली जाए.
मार्च 2021 में केयर्न एनर्जी ने अपनी सालाना रिपोर्ट में लिखा कि PCA द्वारा दिया 'अवार्ड' उन 160 देशों में भारत सरकार के स्वामित्व वाली संपत्ति पर बाध्यकारी है, जिन देशों ने 1958 के 'न्यूयॉर्क कन्वेंशन ऑन रिकॉग्निशन एंड इंफोर्समेंट ऑफ फॉरेन आर्बिट्रल अवार्ड' पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके बाद केयर्न ने उन देशों में भारत सरकार की संपत्तियों पर कार्रवाई शुरू कर दी.
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