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पंजाब में पिछले 5 दिनों के दौरान पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. इस बीच दिल्ली एक बार फिर से धुंध के घेरे में आ गई है. हालांकि, दिल्ली-एनसीआर से सटे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अक्टूबर के शुरुआती 8 दिनों में पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल की तुलना में कम दर्ज की गई थीं.
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ कृषि मंत्रालय द्वारा शेयर किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल एक से आठ अक्टूबर की तुलना में इस साल दिल्ली के तीनों पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में 58 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है.
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल अक्टूबर के शुरुआती आठ दिनों की तुलना में इस साल पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 60 फीसदी, हरियाणा में 48 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 75 फीसदी गिरावट दर्ज की गई. इसके बावजूद दिल्ली में 11 अक्टूबर से हवा की गुणवत्ता में गिरावट ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है.
बता दें कि 0 से 50 अंक के बीच सूचकांक को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी का माना जाता है.
इस बीच 10 अक्टबूर को नासा की उपग्रह आधारित तस्वीरों के आधार पर पंजाब में आग लगाए जाने वाली 23 जगहों को मार्क किया गया था. पंजाब के कृषि सचिव एसके पन्नू ने स्पष्ट किया कि उपग्रह की तस्वीरों के आधार पर मार्क की गई आग वाली जगहों में पराली के अलावा श्मशान घाटों और कचराघरों में आग सहित दूसरी सभी तरह की आग की घटनाएं शामिल होती हैं.
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी के हवाले से केजरीवाल ने कहा, ‘‘अब दिल्ली के लिए हमें बहुत कुछ करने की जरूरत है और हम इसके लिए भरपूर कोशिश भी कर रहे हैं, लेकिन पराली को जलाने से रोकने के लिये दूसरी एजेंसियों को भी एकजुट होकर काम करने की जरूरत है.’’
वहीं, पन्नू ने 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक की अवधि को वायु प्रदूषण के लिहाज से बेहद संवेदनशील बताते हुए आने वाले दिनों में स्थिति को नियंत्रित करने का भरोसा दिलाया है. उन्होंने कहा कि पंजाब में अक्टूबर के पहले हफ्ते तक पराली जलाने की घटनाएं ना के बराबर रहीं. उन्होंने बेहतर निगरानी तंत्र के हवाले से दावा किया कि इस साल पराली जलाने की घटनाओं का पूरा आंकड़ा पिछले साल की तुलना में कम रहेगा.
उन्होंने बताया कि इसके मद्देनजर मंत्रालय ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पराली जलाने के अलावा वायु प्रदूषण बढ़ाने वाली दूसरी वजहों पर सख्त निगरानी तेज कर दी है.
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