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चेन्नई के अपोलो अस्पताल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि तमिलनाडु की पूर्व सीएम जे जयललिता के इलाज के दौरान अस्पताल के उस फ्लोर पर सभी सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिये गए थे, जहां वे एडमिट थीं. फुटेज रिकॉर्ड नहीं किए गए, क्योंकि जयललिता के करीबी नहीं चाहते थे कि कोई भी उनके इलाज की प्रक्रिया को देखे.
अपोलो अस्पताल के संस्थापक चेयरमैन प्रताप सी रेड्डी ने अपोलो इंटरनेशनल कोलोरेक्टल सिम्पोसियम की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि दिवंगत जे.जयललिता की मौत के संबंध में अपोलो अस्पताल प्रबंधन मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस ए अरुमुघस्वामी की अध्यक्षता वाली जांच समिति को सभी दस्तावेज सौंप दिए गए हैं. इस दौरान मीडिया ने उनसे सवाल किया कि क्या सीसीटीवी फुटेज भी उनको सौंप दी गई हैं?
इस पर उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि जिस दिन से जयललिता अस्पताल में भर्ती हुईं थी, तभी से पूरे 75 दिनों तक फ्लोर के सभी सीसीटीवी कैमरों को बंद करा दिया गया था. दरअसल जयललिता के करीबी नहीं चाहते थे कि उनके इलाज से जुड़ी कोई फुटेज सीसीटीवी कैमरे में कैद हो.
रेड्डी ने कहा, "अस्पताल में हम एक साधारण नीति का पालन करते हैं. ICU में थोड़ी देर के लिए करीबियों के अलावा किसी को भी आने की इजाजत नहीं होती है. चूंकि वह गंभीर थीं, इसलिए हमने इजाजत नहीं दी. लेकिन रिश्तेदारों के पास कुछ लोगों से पूछने का विकल्प जरूर था. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर इसकी इजाजत दे सकते थे."
रेड्डी ने बताया कि अस्पताल की ओर से पूरी कोशिश की गयी,लेकिन यह दुर्भाग्य है कि 69 वर्षीय जयललिता को हार्ट अटैक के बाद बचाया नहीं जा सका.
जयललिता को 22 सितंबर 2016 को अपोलो में भर्ती कराया गया था, जहां 4 दिसंबर को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई.
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