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केंद्र सरकार ने भारत-चीन सीमा विवाद और कश्मीर मसले को लेकर शुक्रवार को विपक्षी पार्टियों के साथ मीटिंग की. इस मीटिंग में गृह मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री अरुण जेटली, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने विपक्ष के नेताओं को चीन के साथ जारी गतिरोध और कश्मीर के हालात के बारे में जानकारी दी. यह बैठक गृह मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर हुई.
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि विदेश मंत्री और विदेश सचिव ने सीमा विवाद खासकर डोकलाम मसले पर विपक्ष को विस्तृत जानकारी दी है. सभी दलों ने सरकार को समर्थन का भरोसा दिया है.
वहीं, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे पहले है. हमनें सरकार को कूटनीतिक तरीके के जरिए हालात से निपटने की सलाह दी है.
बैठक में गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस), सीताराम येचुरी (सीपीआई-एम), मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी), राम विलास पासवान (एलजेपी), तारिक अनवर (एनसीपी), शरद यादव, के.सी. त्यागी (जेडी-यू) और डेरेक ओ ब्रायन (टीएमसी) ने भाग लिया. बैठक में केंद्रीय मंत्री और एलजेपी नेता रामविलास पासवान भी मौजूद थे.
पिछले कुछ दिनों से भारत और चीन के बीच डोकलाम सीमा विवाद चल रहा है. भारत ने यह दावा किया है कि भारत-भूटान-तिब्बत के बीच में पड़ने वाले सिक्किम के डोकलाम क्षेत्र में चीन ने एक सड़क बनाने की कोशिश की थी, जिसके बाद से चीन और भारत के बीच तनातनी बनी हुई है.
भारत इस इलाके को डोक ला कहता है जबकि भूटान इस क्षेत्र की पहचान डोकलाम के रूप में करता है. चीन इस एरिया को डोकलांग कहकर इस पर अपना दावा करता है. इस मामले में चीन ने पहले ही रुख साफ कर दिया है कि वो बातचीत के लिए तभी तैयार होगा जब भारत अपने सैनिक हटाएगा.
वहीं, जम्मू-कश्मीर में सोमवार को आतंकियों ने सात अमरनाथ यात्रियों की हत्या कर दी है. अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमला और कश्मीर के हालात पर सरकार ने जो भी कदम उठाए हैं उसकी जानकारी सरकार ने विपक्ष को दिया.
साथ ही कश्मीर के चार जिलों- पुलवामा, कुलगाम, शोपियां एवं अनंतनाग में आठ जुलाई 2016 को हिजबुल मुहाहिद्दीन कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर में जिस तरह की अशांति फैली हुई है. इस पर भी चर्चा हुई.
विपक्ष ने चीन और कश्मीर के मुद्दों को लेकर सरकार की रणनीति की आलोचना की है.
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