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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने नाम न बदलने का फैसला किया है. इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने के बाद यूनिवर्सिटी का नाम बदले जाने की याचिका दी जा रही थी. 11 मई को यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने बताया कि नाम न बदलने का फैसला किया जा चुका है.
यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता शैलेन्द्र मिश्रा ने बताया कि कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक नहीं हो पाई थी. इसलिए काउंसिल के 15 सदस्यों की राय ईमेल के जरिए ली गई.
मिश्रा ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया, "तीन सदस्यों ने जवाब नहीं दिया. बाकी बचे 12 सदस्यों ने नाम बदलने के खिलाफ जवाब दिया और इसके बाद एक प्रस्ताव पास किया गया."
इलाहाबाद का नाम प्रयागराज होने के बाद केंद्रीय HRD मंत्रालय और यूनिवर्सिटी प्रशासन के बीच नाम बदलने को लेकर विचार-विमर्श चलता रहा. 6 मई को HRD मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी को खत लिखा और कहा कि 11 मई तक वो इस पर एग्जीक्यूटिव काउंसिल का रुख साफ करे.
कुछ छात्रों ने ऑनलाइन पेटिशन लॉन्च करके 11 मई तक 4000 लोगों का समर्थन नाम बदले जाने के खिलाफ इकट्ठा कर लिया था. कुछ शिक्षकों और स्थानीय लोगों ने भी अपना विरोध सोशल मीडिया पर जताया था.
16 अक्टूबर 2018 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज करने का ऐलान किया था. इसके बाद इलाहाबाद का नाम आधिकारिक रूप से प्रयागराज हो गया. सीएम योगी आदित्यनाथ का कहना था कि उन्होंने स्थानीय लोगों और साधु-संतों की मांग पर नाम बदला है. इसके बाद योगी सरकार की कैबिनेट ने प्रयागराज नाम पर मुहर लगाई थी.
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