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सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा का ट्रांसफर कर दिया गया है. पीएम नरेंद्र मोदी, जस्टिस सीकरी और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच हुई बैठक में यह फैसला लिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दोबारा चार्ज लेने के बाद से वर्मा बेहद आक्रामक तेवरों में थे. उन्होंने बुधवार को चार्ज संभालते ही अपने करीबी अफसरों के तबादले रद्द कर दिए थे. दबादला होने वाले अफसरों में एमके सिन्हा का नाम भी शामिल है, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर एनएसए डोभाल को भी लपेट लिया था.
आलोक वर्मा ने राकेश अस्थाना केस के अफसर भी बदल दिए थे. इसके अलावा चिट फंड घोटाला मामले में बंगाल में 9 जगहों पर सीबीआई छापेमारी की भी खबर सामने आई थी.
सीबीआई ने पश्चिम बंगाल में 9 अलग-अलग जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी को अंजाम दिया है. चिट फंड घोटाला मामले में यह छापेमारी हुई है. इससे पहले सीबीआई ने 2017 में 9 आरोपियों पर केस दर्ज किया था. सीबीआई डायरेक्टर की निगरानी में ही इस मामले की जांच चल रही थी.
सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने जिन पांच सीबीआई अफसरों का तबादला किया है, उनमें जेडी अजय भटनागर, डीआईजी तरुण गौबा, जेडी मुरुगेसन, एडीएके शर्मा और SC में याचिका देकर डोभाल और कानून सचिव को लपेटने वाले एमके सिन्हा का नाम शामिल है. नए बदलाव में अनीश प्रसाद डिप्टी डायरेक्टर के पद पर बने रहेंगे, वहीं केआर चौरसिया स्पेशल यूनिट-1 को हेड करेंगे. यूनिट-1 सर्विलांस की होती है. वर्मा ने राकेश अस्थाना केस में भी अफसर बदले हैं. अब सीबीआई के संयुक्त निदेशक वी मुरुगसेन और डीआईजी तरुण गौबा इस मामले की जांच करेंगे.
इससे पहले आलोक वर्मा ने राव के किए गए ट्रांसफर ऑर्डर वापस लिए थे. इसमें डीएसपी ए के बस्सी, डीआईजी एम के सिन्हा, संयुक्त निदेशक ए के शर्मा का नाम शामिल था. इन सभी अफसरों के ट्रांसफर ऑर्डर को ऑफिस जॉइन करते ही वर्मा ने पलट दिया.
गुरुवार शाम पीएम आवास पर होने वाली बैठक में कमिटी तय करेगी कि आलोक वर्मा सीबीआई डायरेक्टर के पद पर बने रहेंगे या नहीं. इस कमिटी पीएम नरेंद्र मोदी, जस्टिस सीकरी और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक सेलेक्ट कमिटी की इस बैठक में आलोक वर्मा को भी बुलाने की बात हुई है. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह मांग रखी है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की तरफ से जस्टिस सीकरी, सरकार की तरफ से खुद पीएम मोदी और लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सभी बातों पर विचार कर अंतिम फैसला लेंगे.
सेलेक्ट कमिटी की इस बैठक में वर्मा पर राकेश अस्थाना के लगाए गए करप्शन के गंभीर आरोपों पर भी चर्चा होगी. इससे पहले सीवीसी ने कमिटी के सामने इस मामले से जुड़ी फाइलें रखी थीं. सीबाई बनाम सीबआई के इस केस से जुड़ी हर जानकारी कमिटी के सामने रखी गई थी. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि सिर्फ सीवीसी की रिपोर्ट पर फैसला नहीं किया जा सकता है, इसलिए उन्होंने वर्मा को भी शामिल करने की सिफारिश की.
वर्मा ने बुधवार को सीबाआई निदेशक की कुर्सी संभालते ही दो आदेश जारी करके उन ट्रांसफर्स को वापस ले लिया जो 24 अक्टूबर 2018 और 3 जनवरी, 2019 को नागेश्वर राव ने किए थे. वर्मा को छुट्टी पर भेजने के दौरान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई निदेशक को राजनीतिक हस्तक्षेप से मिली छूट की अनदेखी की थी. सरकार ने यह कहते हुए अपने कदम को सही ठहराने का प्रयास किया कि सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच विवाद के दौरान ऐसा करना जरूरी हो गया था. दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.
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