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1 जुलाई से शुरु होकर 15 अगस्त तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा 2 अगस्त को बीच में रोक दी गई. जम्मू-कश्मीर सरकार ने आतंकी हमले की आशंका जताते हुए 4 अगस्त तक यात्रा रोकने की एडवाइजरी जारी की और यात्रियों को वापस लौटने के लिए कहा. इसके बाद से राज्य के स्थानीय लोगों और यात्रियों में खलबली मच गई है. देश के कोने-कोने से बाबा बर्फानी के दर्शन करने आए सैकड़ों यात्रियों को प्रशासन ने वापस लौटने के लिए मजबूर कर दिया है. इस वजह से यात्री निराश और परेशान हैं.
जम्मू में लक्ष्मण सिंह नाम के एक यात्री ने कहा, "अमरनाथ यात्रा के लिए आए थे. लेकिन अब हम निराश हो गए हैं. क्योंकि इन्होंने मना कर दिया, तो जाए कहां. प्रशासन कह रहा है कि यात्रा कैंसिल हो गई है, लेकिन कोई कारण नहीं बता रहा है."
यात्रियों के साथ-साथ ट्रैवल एजेंट भी परेशान हैं. एक ट्रैवल एजेंट ने बताया, "डेढ़ महीने काम करने के लिए यहां आता हूं. हम यहां अपना काम कर रहे थे. अचानक सरकार ने हमें खाली करने के लिए कह दिया. अब ड्राइवर रो रहा है, घोड़े वाला रो रहा है. हमने 45 दिन के लिए दो लाख रुपये के किराए पर पार्क लिया था. अब हम क्या करें?"
कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित विपक्षी दल केंद्र सरकार से कश्मीर के मौजूदा हालात पर जवाब मांग रहे हैं. इस बीच 3 अगस्त को नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ''हम जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति के बारे में जानना चाहते हैं. जब हम अधिकारियों से पूछते हैं तो वे कहते हैं कि कुछ हो रहा है, लेकिन कोई यह नहीं जानता कि असल में क्या हो रहा है.''
वहीं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “सरकार यात्रियों को वापस जाने के लिए कह रही है और वहां के कश्मीरी मुस्लिम कह रहे हैं कि आप कहीं मत जाओ, हम आपके साथ मरने मिटने के लिए तैयार हैं.”
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