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बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह अब देश का गृह मंत्रालय संभालेंगे. केंद्र सरकार में उन्हें पहली बार कोई जिम्मेदारी मिली है. मगर इतिहास गवाह है कि 54 साल के शाह को अब तक जो भी जिम्मेदारी मिली है, उसे उन्होंने बखूबी निभाया है. इसी का नतीजा है कि 16 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ने वाले शाह तेजी से तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते चले गए.
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले अमित शाह ने ‘मिशन 300+’ के तहत बीजेपी के लिए 300 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया. चुनाव के दौरान शाह के इस लक्ष्य को हवा में माना जा रहा था. बीजेपी महासचिव राम माधव तक ने एक इंटरव्यू में कहा था कि शायद इस बार बीजेपी अपने दम पर पूर्ण बहुमत का आंकड़ा (272) ना छू पाए. मगर जब चुनाव के नतीजे आए तो शाह का लक्ष्य जमीन पर एकदम सामने दिखा. बीजेपी ने इस चुनाव में 303 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया.
अमित शाह ने पहली बार 1991 के लोकसभा चुनाव में गांधीनगर में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का चुनाव प्रबंधन संभाला था. मगर उनके बूथ प्रबंधन का 'करिश्मा' 1995 के उपचुनाव में तब दिखा, जब साबरमती विधानसभा सीट पर तत्कालीन उपमुख्यमंत्री नरहरि अमीन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे यतिन ओझा का चुनाव प्रबंधन उन्हें सौंपा गया. खुद यतिन ओझा कहते हैं कि शाह को राजनीति के सिवा और कुछ नहीं दिखता.
शाह के बारे में एक बात और कही जाती है कि उनके काम में कोई दखल नहीं देता. बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर शाह को जो सही लगा, उन्होंने वही किया. अगर उन्हें किसी उम्मीदवार की हार का डर था तो उन्होंने उसे टिकट नहीं दिया, भले ही वो दिग्गज था या किसी का खास था. शाह को इस बात की भी अच्छी परख है कि कौन जिम्मेदारी निभा सकता है और कौन नहीं.
बीजेपी अध्यक्ष का पद संभालने के बाद अमित शाह ने पार्टी के विस्तार पर काम किया. इसके लिए उन्होंने 'साथ आएं, देश बनाएं' नारे के साथ पार्टी की सदस्यता का कार्यक्रम लॉन्च किया. इसके साथ ही शाह ने पार्टी के नए सदस्यों को संगठन और इसकी विचारधारा से रूबरू कराने के लिए 'महा संपर्क अभियान' चलाया.
अमित शाह के बीजेपी अध्यक्ष बनने के वक्त 7 राज्य ऐसे थे, जहां या तो बीजेपी की सरकार थी या फिर वह सरकार का हिस्सा थी. शाह के नेतृत्व में ऐसे राज्यों की संख्या 21 तक पहुंच गई थी. पिछले साल कर्नाटक में बहुमत साबित ना कर पाने और जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद यह संख्या 19 हो गई थी. इसके बाद बीजेपी के हाथ से 3 राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़) की सरकार निकल गई. इस तरह फिलहाल 16 ऐसे राज्य हैं, जहां या तो बीजेपी की सरकार है या फिर वह सरकार का हिस्सा है. मगर पिछले साल बीजेपी के हाथ से जिन 5 राज्यों की सरकार गई, शाह की अध्यक्षता में ही पार्टी ने इस लोकसभा चुनाव में उन सभी में शानदार प्रदर्शन किया है.
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