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सांप्रदायिक तनाव, मॉब लिंचिंग और हेट क्राइम की तमाम घटनाएं इन दिनों अखबार की सुर्खियां बन रही हैं. ऐसा लगता है मानो लोगों में नफरत बढ़ रही है, नतीजतन देशभर में इस तरह की घटनाएं बढ़ रहीं है. ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने की कोशिशों के बीच अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक रिपोर्ट जारी की है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल की मानें तो 'नफरत' फैलाने में उत्तर प्रदेश टॉप पर है, जबकि गुजरात दूसरे नंबर पर. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साल 2018 के पहले 6 महीनों में हेट क्राइम के 100 मामले दर्ज किए गए. इसमें ज्यादातर शिकार दलित, आदिवासी, जातीय और धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के लोग और ट्रांसजेंडर बने हैं.
एमनेस्टी की ये रिपोर्ट ऐसे वक्त में सामने आई है, जब यूपी के हापुड़ में गाय को लेकर हुई मॉब लिंचिंग मामले की जांच अभी चल ही रही है. हापुड़ में बीते जून के महीने में मोहम्मद कासिम नाम के शख्स को भीड़ ने गोकशी के शक में पीट-पीटकर मार दिया था.
जबकि उसके साथी शमशुद्दीन को मरणासन्न हालत में पहुंचा दिया था. पुलिस ने इस मामले को दर्ज तो किया, लेकिन पहले वह इसे गोकशी के शक में लिंचिंग का मामला न मानकर रोडरेज का झगड़ा बताने की कोशिश कर रही थी.
एमनेस्टी के मुताबिक, देश में साल 2018 की शुरुआत से अब तक दलितों के खिलाफ 67 और मुस्लिमों के खिलाफ 22 हेट क्राइम के मामले सामने आए हैं. एमनेस्टी की मानें तो इन अपराधों में सबसे ज्यादा मामले गाय से जुड़ी हिंसा और ऑनर किलिंग के हैं. इस तरह के अपराधों के लिए उत्तर प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा सबसे ज्यादा संवेदनशील है.
मानवाधिकारों की रक्षा से जुड़े इस संगठन ने गोकशी के आरोप में हुई अखलाक की हत्या के बाद देश में घट रहे हेट क्राइम से जुड़े मामलों का डेटा तैयार करना शुरू किया था. साल 2015 में दादरी में रहने वाले मोहम्मद अखलाक की भीड़ ने घर में बीफ रखने के शक में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद से देशभर में हेट क्राइम के 603 मामले सामने आ चुके हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आकर पटेल कहते हैं, 'हेट क्राइम दूसरे अपराधों से अलग हैं इसके पीछे भेदभाव का कारण अहम होता है. हालांकि कानून हेट क्राइम की अलग से पहचान नहीं करता है. पुलिस को चाहिए कि वह ऐसे अपराधों के पीछे छिपे भेदभाव वाले सही कारणों को उजागर करे और उन्हें उचित ढंग से अपनी रिपोर्ट में फाइल करे.'
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