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लेखिका अमृता प्रीतम की 100वीं जयंती,गूगल ने डूडल बनाकर दिया सम्मान

अमृता प्रीतम अपनी कविताओं और गद्यों के लिए मशहूर हैं

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Google Doodle on Amrita Pritam 100th Birthday: अमृता प्रीतम का आज 100 वां जन्मदिन है
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Google Doodle on Amrita Pritam 100th Birthday: अमृता प्रीतम का आज 100 वां जन्मदिन है
फोटो: स्नैप

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मशहूर पंजाबी लेखिका अमृता प्रीतम के जन्मदिन पर गूगल ने उनके सम्मान में एक डूडल बनाया है. बता दें आज अमृता की 100 वीं जयंती है.

डूडल का चित्र अमृता की आत्मकथा काला गुलाब से लिया गया है. इस आत्मकथा में उनकी जिंदगी के कई अनछुए पहलुओं से सामना होता है. यह मशहूर किताब औरतों के बीच में खास लोकप्रिय है. अमृता के लेखन में औरतों की आवाज का बखान माना जाता है.

अमृता प्रीतम की आज 100 वीं जयंती हैफोटो: स्नैपशॉट

अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त 1919 को पाकिस्तानी पंजाब के गुजरांवाला के मंडी बाहुद्दीन में हुआ था. वे अपनी कविताओं, गद्य और आत्मकथा के लिए मशहूर हैं. उनका किताब 'पिंजर' आजादी के दौर में महिलाओं की स्थिति के बारे में बात करता है. इस पर 2003 में एक हिंदी फिल्म भी बन चुकी है. उनकी कविताओं में भी विभाजन का दर्द झलकता है. उनका लिखा ''आज्ज आंखे वारिश शाह नू'' उनके कविता लेखन का चरम माना जाता है.

अमृता प्रीतम मुख्यत: पंजाबी में लिखती थीं. लेकिन उन्होंने हिंदी और उर्दू में खूब लेखन किया है. 2005 में अमृता को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें 1981 में साहित्य ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया था.

साहिर से मशहूर था अमृता का प्यार

साहिर लुधियानवी और अमृता प्रीतम की पहली मुलाकात हुई एक मुशायरे में. साल था 1944. अमृता शादी-शुदा थीं. उस शाम साहिर की कही नज्में, उनकी शख्सियत ने अमृता के दिल तक का सफर तय कर लिया. साहिर, अमृता की रूह में गहरे उतर चले थे. अमृता ने इस मुलाकात का जिक्र करते हुए लिखा,

पता नहीं ये उसके लफ्जों का जादू था या उसकी खामोश निगाह का, लेकिन मैं उससे बंधकर रह गई थी.fb
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‘उस धुएं में साहिर दिखता था’

अमृता प्रीतम और साहिर की मोहब्बत में जो रूहानी एहसास था, वैसी मिसालें कम ही मिलती हैं. 'रसीदी टिकट' के उन पन्नों पर अगर ढेर सारी अमृता बिखरी हैं तो साहिर भी यहां-वहां, मुड़े-तुड़े, जर्द पन्नों में सामने आ जाते हैं. वो जब भी आते हैं, तो आप इन दोनों से बेतरह इश्क करने लगते हैं. इसी किताब में अमृता लिखती हैं,

<b>लाहौर में जब कभी साहिर मिलने आता तो ऐसा लगता था जैसे मेरी खामोशी का ही एक टुकड़ा मेरी बगल वाली कुर्सी पर पसर गया है और फिर अचानक उठकर चला गया. वो चुपचाप सिर्फ सिगरेट पीता रहता. कोई आधा सिगरेट पीकर राखदानी में घुसा देता था. फिर नई सिगरेट सुलगा लेता. उसके जाने के बाद, सिर्फ सिगरेट के बड़े-बड़े टुकड़े कमरे में रह जाते. मैं इन सिगरेटों को हिफाजत से उठाकर अलमारी में रख देती. जब कमरे में अकेली होती तो उन सिगरेटों के टुकड़ों को एक-एक कर जलाती थी. जब उंगलियों के बीच पकड़ती तो ऐसा लगता कि मैं उसकी उंगलियों को छू रही हूं. मुझे धुएं में उसकी शक्ल दिखाई पड़ती. सिगरेट पीने की आदत मुझे ऐसे ही लगी.</b>

लेकिन अमृता का साहिर से प्यार अधूरा रहा. पर इमरोज उनके प्यार में ताउम्र बने रहे और अमृता का खूब साथ निभाया.

पढ़ें ये भी: साहिर और अमृता के इश्क की दास्तान सदियों तक रहेगी जिंदा

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Published: 31 Aug 2019,11:01 AM IST

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