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हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के लिए वोटिंग हो चुकी है. तमाम न्यूज चैनलों और एजेंसियों ने नतीजों को लेकर अपने-अपने अनुमान यानी एग्जिट पोल जारी कर दिए हैं. सभी एग्जिट पोल्स में दोनों ही राज्यों में सत्ताधारी बीजेपी की सत्ता में वापसी होती नजर आ रही है. लेकिन इन एग्जिट पोल्स के मायने क्या हैं, क्विंट के न्यूज रूम से देखिए खास चर्चा.
विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग से पहले जहां हरियाणा में महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों ने शुरुआत में जोर पकड़ा, लेकिन बाद में बीजेपी की ‘राष्ट्रवाद’ की आंधी में इन मुद्दों ने दम तोड़ दिया. आखिर, कैसे चुनाव के आखिरी वक्त में हवा बीजेपी के हक में हो गई?
एग्जीक्यूटिव एडिटर नीरज गुप्ता ने बताया, ‘कश्मीर से आर्टिकल 370 को बेअसर किए जाने के बाद ये पहला बड़ा चुनाव है. इत्तेफाक की बात है कि आज हरियाणा और महाराष्ट्र के लोगों को वोट करने से पहले टीवी और अखबारों के जरिए ये खबर मिली होगी कि बॉर्डर पर पाकिस्तान की ओर से जबरदस्त गोलाबारी हुई है और भारत ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया है. ये इत्तेफाक की बात हो सकती है.’
नीरज गुप्ता ने बताया, ‘बीजेपी ने अबकी बार 75 पार का दावा जरूर किया था, लेकिन टाइम्स नाउ, एबीपी-सी वोटर और न्यूज 18-IPSOS के आंकड़ों पर थोड़ा सा शक नजर आता है.’
उन्होंने बताया-
उन्होंने बताया, ‘पिछले दिनों सी-वोटर के सर्वे में सामने आया कि 55 फीसदी लोग कह रहे थे कि वो सरकार बदलना चाहते हैं, लेकिन वही 55 फीसदी लोग ये भी कह रहे थे कि वो बीजेपी को वोट देंगे यानी कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है, इसलिए उन्हें बीजेपी को वोट देना पड़ेगा. इसीलिए 70-75 सीटों का आंकड़ा बीजेपी के लिए थोड़ा बड़ा लग रहा है.’
उन्होंने बताया-
हरियाणा के कई हिस्सों में जनता के मूड को टटोल कर लौटे क्विंट हिंदी के संवाददाता शादाब मोइजी कहते हैं, 'ये कहना सही नहीं होगा कि हरियाणा में लोगों ने मनोहर लाल खट्टर के नाम पर वोट किया. क्योंकि जिस तरह हरियाणा के चुनाव में एक पैटर्न देखा गया था कि वसुंधरा तेरी खैर नहीं, मोदी तुझसे बैर नहीं. वही पैटर्न हरियाणा में भी देखने को मिला.’
उन्होंने बताया, ‘इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी रैलियों में पाकिस्तान और आर्टिकल 370 हटाने के मुद्दों को उठाया. तो चुनावों में इन चीजों का फायदा मिलता दिख रहा है. हरियाणा में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है, लेकिन राष्ट्रवाद के सामने बेरोजगारी और पानी जैसे मुद्दे दब गए हैं.’
पॉलिटिकल एडिटर आदित्य मेनन ने बताया, ‘हरियाणा में बीजेपी ने शुरुआत में ही जाट बनाम गैर जाट की राजनीति का दांव चला. इससे बीजेपी ने 36 समुदायों में से 35 समुदायों को अपने पाले में कर लिया. जाटों ने आरक्षण की मांग को लेकर जो हिंसक आंदोलन हुआ था, उससे जाटों के अलावा जो समुदाय थे वो बीजेपी के पाले में आ गए.’
उन्होंने बताया, ‘जाट समुदाय भी ऐसा समुदाय है, जिसने कई साल तक हरियाणा पर शासन किया है. एक तरह से उन्हें सत्ता की आदत भी है, ऐसे में जाटों का भी एक हिस्सा बीजेपी के साथ आ गया. इसके अलावा राष्ट्रवाद के मुद्दे की वजह से भी बड़ी संख्या में जाट बीजेपी में आ गए, क्योंकि जाट बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों में जाते हैं. इसलिए बीजेपी ने हरियाणा में बड़े पैमाने पर अपने हिसाब से जातिगत समीकरण सेट कर लिया है, जिसका असर कांग्रेस और INLD पर पड़ा है.’
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर आए एग्जिट पोल्स के आंकड़ों में अंतर देखा जा रहा है. टाइम्स नाउ ने बीजेपी गठबंधन को 230, एबीपी-सी वोटर ने 204, न्यूज 18-IPSOS ने 243, इंडिया-टुडे ने 166-194 और रिपबल्कि टीवी ने 216-230 सीटें दी हैं.
आदित्य मेनन का कहना है, ‘अगर बीजेपी गठबंधन को 240 सीटें मिलती हैं, तो उस स्थिति में बीजेपी के हिस्से में 140 सीटें आ सकती हैं. अगर ऐसा हुआ तो गठबंधन में रहते हुए भी शिवसेना के लिए मुश्किल हो सकती है. अगर बीजेपी को बड़ी संख्या मिलती है, तो जो आदित्य ठाकरे को डिप्टी सीएम बनाने की बात की जा रही है, वो पूरी तरह से बीजेपी पर निर्भर होगा. लेकिन अगर बीजेपी गठबंधन की 200 के आसपास सीट आती हैं, तो बीजेपी के पास भी शिवसेना की बात मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.’
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