Home News India अनारकली-सलीम की प्रेम कहानी कितनी हकीकत, कितना फसाना?
अनारकली-सलीम की प्रेम कहानी कितनी हकीकत, कितना फसाना?
फिल्म अनारकली को बने 70 साल हो गए, आज भी उसके गाने हिट हैं
priya Sharma
भारत
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फिल्म 'अनारकली' के 70 साल पूरे हुए.
(फोटोः अलटर्ड बाई क्विंट/यूट्यबू)
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अनारकली मुगल बादशाहत का वो अध्याय है जो सलीम और अनारकली की सच्चे और असीम प्रेम कहानी को दर्शाती है. निर्देशक नंदलाल जसवंतलाल ने सलीम और अनारकली की प्रेम कहानी को एक फिल्म में कुछ इस तरह पिरोया कि भारतीय फैशन के साथ-साथ हिंदी सिनेमा जगत की तस्वीर पूरी तरह बदल गई. इस ऐतिहासिक फिल्म को रिलीज हुए 70 साल हो चुके हैं. निर्देशक नंदलाल जसवंतलाल की फिल्म अनारकली 02 जनवरी 1953 को आई थी और फिल्म को अच्छा रिस्पॉन्स मिला था. वहीं फिल्म के गाने ये जिंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया...,‘मोहब्बत में ऐसे कदम लड़खड़ाए, जमाने ने समझा हम पी के आये…’ का जादू आज भी संगीत प्रेमियों के सिर चढ़ कर बोलता है. हालांकि सलीम अनारकली की प्रेम कहानी काल्पनिक है या असली इसपर विवाद है. इतिहासकार कहते हैं कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है.
निर्देशक नंदलाल जसवंतलाल की फिल्म अनारकली 02 जनवरी 1953 को रिलीज हुई थी. इस फिल्म को अच्छा रिस्पॉन्स मिला था.हालांकि ये पहली फिल्म थी जो मुगल सलीम (जहांगीर) और अनारकली की सच्चे और असीम प्रेम कहानी को पर्दे पर लेकर आई थी.
(फोटोः यूट्यूब)
मधुबाला की मुगल-ए-आजम से 7 साल पहले 1953 की इस फिल्म अनारकली में बीना राय और प्रदीप कुमार मुख्य भूमिका में थे.
फिल्म ‘अनारकली’ की ‘अनारकली’ बीना राय 1960 में आई ‘मुगले आजम’ की ‘अनारकली’ मधुबाला से किसी मायने में कम नहीं थीं. कहा जाता है कि जिस थिएटर में ‘मुगले आजम’ चलती थी अक्सर उसके सामने वाले थिएटर में ‘अनारकली’ प्रदर्शित की जाती थी.
(फोटोः यूट्यूब)
इतना ही नहीं साल 1953 में रिलीज होने वाली साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म भी बनी थी. खासतौर पर इस फिल्म में सी. रामचन्द्र का संगीत जबर्दस्त हिट हुआ था.
(फोटोः यूट्यूब)
बीना राय और सी.रामचंद्र के सुपरहिट गाने ‘ये जिंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया, प्यार ही में खो गया.... जिसे लता मंगेशकर ने गाया था. जो लोगों को खूब पसंद आया था. ये गाना आज भी लोगों के सर चढ़ कर बोलता है.
(फोटोः यूट्यूब)
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अनारकली पर फिल्माया गया ‘मोहब्बत में ऐसे कदम लड़खड़ाए, जमाने ने समझा हम पी के आये…’ का जादू संगीत प्रेमियों के सिर पर चढ़ कर बोलता था. नशे में झूमती अनारकली के रूप में बीना राय की अदाकारी दिलकश और गजब की थी. लोग इस एक गीत के लिए अनारकली को देखने बार-बार सिनेमा हॉल में जाया करते थे.
(फोटोः यूट्यूब)
बता दें कि इस फिल्म में ये दिखाया गया है कि जहांगीर ने अपने पिता अकबर के खिलाफ जाकर अनारकली नाम की लड़की से प्यार करता है जो अकबर को मंजूर नहीं था. वहीं इस फिल्म में ये भी दिखाया गया कि कैसे अकबर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच के झगड़े को समाप्त करने में भले ही सफल हो गया हो, लेकिन अमीरों और गरीबों के बीच की दीवार को नहीं तोड़ पाया.
(फोटोः यूट्यूब)
हालांकि इसका इतिहास अलग-अलग तथ्यों के साथ मिलता है. दरअसल, सैयद अब्दुल लतीफ ने अपनी किताब तारीख-ए-लाहौर (1892) में लिखा है कि जहांगीर से इश्क के चलते ही अनारकली की जान गई. जहांगीर ने उसकी कब्र पर लिखवाया कि अगर मैं अपनी महबूबा को एक बार भी पकड़ सकता तो अल्लाह का शुक्रिया करता. कयामत तक. उस कब्र पर 1599 और 1615 साल की तारीखें हैं. जिसे कहते हैं कि अनारकली के मरने और कब्र के पूरे होने की तारीखें हैं.
(फोटोः यूट्यूब)
हालांकि जहांगीर की आत्मकथा तुजुक-ए-जहांगीरी में अनारकली का जिक्र नहीं है. न ही अनालकली का जिक्र अबुल फजल के लिखे 'अकबरनामा' में है. इसलिए ज्यादातर इतिहासकर यही मानते हैं कि अनालकली एक काल्पनिक चरित्र है.
(फोटोः यूट्यूब)
1860 में, नूर अहमद चिश्ती ने अपनी पुस्तक 'तहकीकात-ए-चिश्तिया' में अनारकली के बारे में विस्तार से बताया गया है. इस कितब में अनारकली अकबर की पसंदीदा थी और उसका असली नाम नादिरा बेगम या शर्फ-उन-निसा था. साथ ही, अनारकली बादशाह अकबर के हरम की सबसे खास सदस्य थीं. कहा जाता है कि अनारकली अक्सर महल में नाचा करती थीं. मगर जब बादशाह को पता चला की उसका बेटा अनारकली के दीवाने हो गया है, जो बादशाह को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया और दीवार में चुनवा दिया था.