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अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (Andaman and Nicobar Islands) के पूर्व मुख्य सचिव, जितेंद्र नारायण और श्रम आयुक्त आर एल ऋषि के खिलाफ सेक्स रैकेट के सबूत मिले हैं. एक 21 वर्षीय महिला ने गैंगरेप और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जिस पर टीम जांच कर रही थी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मामले में कथित ‘जॉब-फॉर-सेक्स रैकेट’ की ओर इशारा करते हुए सबूत और मुख्य गवाह के बयान दर्ज किए गए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (Andaman and Nicobar Islands) के पूर्व मुख्य सचिव, जितेंद्र नारायण और श्रम आयुक्त आर एल ऋषि के खिलाफ जांच में पता चला है कि कथित ‘जॉब-फॉर-सेक्स रैकेट’ के तहत 20 से अधिक महिलाओं को कथित तौर पर पोर्ट ब्लेयर में पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण के घर पर ले जाया गया था और उनमें से कुछ को यौन शोषण के बदले में नौकरी दी गई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक पोर्ट ब्लेयर में सीनियर पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की है दोनों अधिकारियों के कॉल डेटा रिकॉर्ड (CDR) और 21 वर्षीय महिला ने आरोपों में दो दिनों की घटनाओं को जिस क्रम में बताया है, वो आपस में मेल खाते हैं.
सूत्रों ने पब्लिकेशन को यह भी बताया है कि मुख्य सचिव के घर में स्थापित क्लोज सर्किट (CCTV) कैमरा सिस्टम के डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (DVR) की हार्ड डिस्क से पहले ही सब कुछ डिलीट कर दिया गया था और बाद में पोर्ट ब्लेयर से जुलाई में उनके ट्रांस्फर के वक्त डीवीआर को भी हटा दिया गया था.
यह भी कहा जा रहा है कि पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी और एक स्थानीय सीसीटीवी एक्सपर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक सबूत के कथित मिटाने की पुष्टि करते हुए अपनी गवाही दी है.
जितेंद्र नारायण की ट्रांजिट जमानत याचिका के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में बहस करते हुए कहा था कि पीड़ित के बयान की गवाह और इलेक्ट्रॉनिक सबूत द्वारा पुष्टि की गई थी. 20 अक्टूबर के आदेश में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता (नारायण) द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ करने के सबूत मिले हैं.
खुद पर लगे आरोपों से इनकार करते हुए, जितेंद्र नारायण ने गृह मंत्रालय और अंडमान-निकोबार प्रशासन को लिखे पत्रों में कहा है कि उनके खिलाफ एक साजिश रची गई है. उन्होंने दावा किया है कि उनके पास इस मामले से संबंधित ऐसे सबूत हैं, जो इस केस को फर्जी साबित करते हैं.
उन्होंने एफआईआर में दी गई दो तारीखों में से एक पर पोर्ट ब्लेयर में नहीं होने की बात कही है और इस पर चुनौती दी है. इसके अलावा नई दिल्ली में अपनी उपस्थिति दिखाने के लिए फ्लाइट का टिकट और किसी कार्यक्रम में शामिल होने का भी हवाला दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जब नई दिल्ली में जितेंद्र नारायण से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने यह बोलते हुए कुछ कहने से इनकार कर दिया कि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है. इसके अलावा पोर्ट ब्लेयर में याचिका दायर करने वाले उनके वकील ने भी इस पर बयान देने से इनकार कर दिया.
अंडमान-निकोबार पुलिस की टीम मंगलवार, 18 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस के साथ नई दिल्ली में जितेंद्र नारायण के घर पहुंची थी और इस दौरान उन्हें एसआईटी के सामने पेश होने के लिए नोटिस दी गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक नारायण उस समय घर पर नहीं थे लेकिन जांच टीम ने उनका लैपटॉप, मोबाइल फोन ले लिया और उसे फॉरेंसिक जांच के लिए पोर्ट ब्लेयर भेज दिया गया.
अंडमान-निकोबार के पुलिस महानिदेशक नीरज ठाकुर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमारी प्राथमिकता महिला द्वारा एफआईआर में लगाए गए आरोपों की जांच करना है.
इस केस की जांच के दौरान एसआईटी के सामने दर्ज किए सबसे अधिक अहम बयान जिन गवाहों के हैं उनमें पूर्व प्रमुख सचिव के स्टाफ शामिल हैं. उनके ड्राइवर, कुक और अन्य नौकरों के बयान भी दर्ज किए गए हैं. इनमें से एक गवाह की सुरक्षा को खतरा देखते हुए एसआईटी ने 'संरक्षित गवाह' के तौर पर लिस्ट किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक एक स्टाफ ने कहा कि मुझे पूर्व प्रमुख सचिव ने उस वक्त धमकी दी थी कि अगर मैंने उनके घर आने वाली महिलाओं के बारे में किसी से कुछ भी कहा तो मेरी जान को खतरा होगा.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए स्टाफ मेंबर ने आरोप लगाया कि करीब 20-25 महिलाओं को जितेंद्र नारायण के आवास पर लाया गया था. बता दें कि इस मेंबर ने जिस तरह से घटना के बारे में बताया है, वो पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत से मेल खाते हैं.
21 वर्षीय महिला ने कहा है कि उसने एसआईटी को हर मिनट का विवरण दिया था. उसने कहा कि जब वो जितेंद्र नारायण के आवास पर गई थी तो देखा था कि किचन का दरवाजा बंद था, जिससे रसोईयों को अंदर ही रखा जा सके और उस दिन नाश्ता-खाना कार के ड्राइवर ने परोसा था. उसने यह भी बताया कि घर में घुसते ही मोबाइल फोन जमा करने को कहा गया था.
महिला ने बताया कि उसे होटल के मालिक रिंकू ने लेबर कमिश्नर ऋषि से मिलवाया था.
पीड़ित महिला ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि उसे अधिकारियों के आवास पर ले जाया गया और शराब की पेशकश की गई थी. इसके बाद उसके साथ दो पुरुषों द्वारा उसके साथ क्रूरता और यौन शोषण किया गया.
जितेंद्र नारायण को 17 अक्टूबर को गृह मंत्रालय के आदेश पर निलंबित कर दिया गया और उन्हें 14 नवंबर तक अंतरिम जमानत दी गई है. इसके अलावा दूसरे आरोपी आर एल ऋषि को भी निलंबित कर दिया गया है और उनके नाम पर गैर-जमानती वारंट जारी किए गए हैं.
पीड़ित महिला के परिवार के सदस्यों ने कहा कि वो अब पूर्व मुख्य सचिव की कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.
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