advertisement
एंटीलिया कांड और जबरन वसूली मामले में गिरफ्तार हुए बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वझे (Sachin Vaze) ने अपनी तरफ से तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को क्लीन चिट दे दी है. वझे ने चांदीवाल कमीशन के सामने शुरू सुनवाई में कहा है कि कभी भी अनिल देशमुख या उनके स्टाफ ने उनके नाम पर उससे पैसे की मांग नहीं की. ये अनिल देशमुख के लिए बड़ी राहत की बात हो सकती है.
गिरीश कुलकर्णी - क्या आपके केस में किसी राजनीतिक दल या गृह मंत्रालय ने दखल दी ?
सचिन वझे - नहीं
गिरीश कुलकर्णी - क्या आपने गृह मंत्रालय के किसी भी सदस्य को पुलिस अधिकारी के रूप में पैसे दिए ?
सचिन वझे - नहीं
गिरीश कुलकर्णी - क्या ऐसा कोई समय था जब आपने अनिल देशमुख को पैसे दिए या पैसे की पेशकश की?
सचिन वझे - नहीं
गिरीश कुलकर्णी - क्या आपने अनिल देशमुख, या उनके सहयोगियों को पैसे दिए?
सचिन वझे - नहीं
गिरीश कुलकर्णी - अनिल देशमुख के करीबी सहयोगी के रूप में क्या कुंदन शिंदे को क्या आपने कोई पैसा दिए थे?
सचिन वझे - मुझे याद नहीं
गिरीश कुलकर्णी - क्या यह सच है कि आपने कुंदन शिंदे को पैसे नहीं दिए?
सचिन वझे - हां
गिरीश कुलकर्णी - अनिल देशमुख और उनके साथियों ने आपसे कभी पैसे की मांग की थी?
सचिन वझे - अनिल देशमुख और उनके साथियों ने मुझसे कभी पैसे की मांग नहीं की.
गिरीश कुलकर्णी - क्या ये सच है कि अनिल देशमुख से जुड़े किसी भी कर्मचारी ने आपसे पैसे नहीं मांगे?
सचिन वझे - नहीं, मुझसे व्यक्तिगत स्तर पर नहीं.
गिरीश कुलकर्णी - अनिल देशमुख ने खुद या उनके किसी कर्मचारी ने आपसे बार मालिकों या रेस्तरां मालिकों से पैसे लेने के लिए कहा था?
सचिन वझे - नहीं
गिरीश कुलकर्णी - क्या यह सच है कि आपने अनिल देशमुख और उनके कर्मचारियों को इसलिए पैसे नहीं दिए क्योंकि आपने बार से पैसे नहीं लिए थे?
सचिन वझे - हां, यह सही है.
जबरन वसूली मामले की जांच कर रही ईडी को शक था कि सचिन वझे बतौर एपीआई तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख के लिए करोड़ों की वसूली करता था. इस बीच, मार्च में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र भी लिखा था.
इस पत्र में अनिल देशमुख पर हर महीने 100 करोड़ वसूली का टारगेट देने का गंभीर आरोप आरोप लगाया था. जिसके बाद ये पूरा मामला कोर्ट में गया और इस पर सीबीआई की जांच शुरू हुई. अनिल देशमुख को इसके बाद गृहमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. वझे के इस बयान के बाद जहां देशमुख के लिए अच्छी खबर हो सकती है वहीं, परमबीर सिंह के लिए नई मुसीबतें ला सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)