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समाजसेवी अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार पर केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की नीति की आलोचना की है. सरकार की मंशा पर शक जाहिर करते हुए अन्ना ने कहा कि वित्तीय भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस और बीजेपी में कोई फर्क नहीं है. वे उत्तर प्रदेश के दौरे पर थे.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों सत्ता और धन जुटाने में लिप्त हैं. वे सिर्फ अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं.
अन्ना ने कहा कि केंद्र सरकार ने साल 2016 में लोकपाल कानून में संशोधन के विधेयक को बिना चर्चा कराये आनन-फानन में पारित कर दिया. उसने 27 जुलाई को लोकसभा और 28 जुलाई को राज्यसभा में इसे पारित करा दिया और 29 जुलाई को उस पर राष्ट्रपति ने भी दस्तखत कर दिये.
उन्होंने कहा, ''यह तो कांग्रेस भी नहीं कर सकती थी. लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा के बगैर कोई कानून बनाना लोकतंत्र नहीं, बल्कि ‘हुक्मतंत्र' है.''
साल 2011 के आंदोलन के उलट इस बार समर्थन जुटाने के लिए देश का दौरा करने संबंधी सवाल पर अन्ना ने कहा ‘‘दोनों आंदोलनों के बीच में अन्तराल ज्यादा हो गया है, इसलिए मैं लोगों के बीच जा रहा हूं.''
अन्ना ने इस बार अपने आंदोलन से जुड़ने वालों के लिये शर्त रखी है कि वे भविष्य में कभी राजनीति में नहीं आएंगे. उन्होंने इस बारे में कहा, ‘‘गांधी जी की कल्पना यह थी कि कोई भी आंदोलन चरित्र पर आधारित होना चाहिए. आज चरित्र पर कुछ भी आधारित नहीं है. हमें संख्या नहीं, बल्कि गुण के नजर से आंदोलन को देखना चाहिए.''
हालांकि, उन्होंने कहा कि ईवीएम की निष्पक्षता बनाये रखने के लिये ‘टोटलाइजर मशीन' का इस्तेमाल किया जाए. साथ ही ईवीएम को बदलने के बजाय सिस्टम को बदला जाए.
(इनपुट भाषा से)
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