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मोदी सरकार पर अन्‍ना का ताना- खाने के दांत अलग हैं, दिखाने के अलग

अन्‍ना ने इस बार अपने आंदोलन से जुड़ने वालों के लिये शर्त रखी है कि वे भविष्य में कभी राजनीति में नहीं आएंगे. 

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भारत
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अन्‍ना हजारे ने की नरेन्द्र मोदी सरकार की आलोचना
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अन्‍ना हजारे ने की नरेन्द्र मोदी सरकार की आलोचना
(फाइल फोटो: Reuters)

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समाजसेवी अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार पर केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की नीति की आलोचना की है. सरकार की मंशा पर शक जाहिर करते हुए अन्‍ना ने कहा कि वित्तीय भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस और बीजेपी में कोई फर्क नहीं है. वे उत्तर प्रदेश के दौरे पर थे.

केंद्र सरकार ने लोकपाल कानून की धारा 44 में बदलाव करके उसे कमजोर कर दिया. एक तरफ तो मोदी भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की बात करते हैं, दूसरी तरफ उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने वाले लोकपाल कानून को कमजोर कर दिया. खाने के दांत अलग हैं और दिखाने के अलग. भ्रष्टाचार के खिलाफ केन्द्र सरकार की मंशा पर मुझे शक है....लोकपाल कानून की धारा 44 में प्रावधान था कि हर सरकारी अधिकारी अपने करीबी परिजन की संपत्ति का हर साल ब्‍योरा देगा. मगर इसमें संशोधन करके उस अनिवार्यता को हटा दिया गया.
अन्ना हजारे

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों सत्ता और धन जुटाने में लिप्त हैं. वे सिर्फ अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं.

अन्‍ना ने कहा कि केंद्र सरकार ने साल 2016 में लोकपाल कानून में संशोधन के विधेयक को बिना चर्चा कराये आनन-फानन में पारित कर दिया. उसने 27 जुलाई को लोकसभा और 28 जुलाई को राज्यसभा में इसे पारित करा दिया और 29 जुलाई को उस पर राष्ट्रपति ने भी दस्तखत कर दिये.

उन्‍होंने कहा, ''यह तो कांग्रेस भी नहीं कर सकती थी. लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा के बगैर कोई कानून बनाना लोकतंत्र नहीं, बल्कि ‘हुक्मतंत्र' है.''

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समर्थन जुटाने के लिए देश का दौरा

साल 2011 के आंदोलन के उलट इस बार समर्थन जुटाने के लिए देश का दौरा करने संबंधी सवाल पर अन्‍ना ने कहा ‘‘दोनों आंदोलनों के बीच में अन्तराल ज्यादा हो गया है, इसलिए मैं लोगों के बीच जा रहा हूं.''

आंदोलन से जुड़ने वालों के लिये शर्त

अन्‍ना ने इस बार अपने आंदोलन से जुड़ने वालों के लिये शर्त रखी है कि वे भविष्य में कभी राजनीति में नहीं आएंगे. उन्होंने इस बारे में कहा, ‘‘गांधी जी की कल्पना यह थी कि कोई भी आंदोलन चरित्र पर आधारित होना चाहिए. आज चरित्र पर कुछ भी आधारित नहीं है. हमें संख्या नहीं, बल्कि गुण के नजर से आंदोलन को देखना चाहिए.''

चुनाव सुधारों को लेकर भी मुहिम चला रहे हजारे ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराने की सपा और बसपा की मांग से असहमति जतायी और कहा कि दुनिया आगे बढ़ रही है, ऐसे में हम पीछे क्यों लौटें.

हालांकि, उन्होंने कहा कि ईवीएम की निष्पक्षता बनाये रखने के लिये ‘टोटलाइजर मशीन' का इस्तेमाल किया जाए. साथ ही ईवीएम को बदलने के बजाय सिस्टम को बदला जाए.

(इनपुट भाषा से)

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