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चार दशक पुराने सिख विरोधी दंगों के मामले में कानपुर (Kanpur) में एसआईटी की जांच के बाद अब ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां लगातार हो रही हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए सिख विरोधी विरोधी दंगों के समय कानपुर में 127 लोगों की हत्या कर दी गई थी, कई लोगों के घरों को जला दिया गया था और जमकर लूटपाट हुई थी.
उस समय कई एफआईआर दर्ज हुईं, लेकिन किसी भी आरोपी को पकड़ा नहीं जा सका. तभी से सिख समुदाय लगातार इंसाफ के लिए गुहार लगाता रहा. कई सरकारें आईं, कई आयोग बने, कई एसआईटी बनीं, लेकिन किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी संभव नहीं हो सकी. योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2019 में एक बार फिर दंगों की जांच के लिए एसआईटी बनाई, जिसने 11 ऐसे मामले जांच के लिए पाए, जिनमें पर्याप्त साक्ष्य थे. नतीजा यह हुआ कि 11 मामलों में पर्याप्त सबूत और गवाह मिले तो 96 आरोपियों के नाम निकलकर सामने आए.
SIT प्रभारी डीआईजी बालेंदु भूषण ने बताया कि बुधवार रात को सिख दंगे में पांच हत्यायों के आरोपी गुजैनी जी-ब्लॉक निवासी कमल को गिरफ्तार कर लिया. आरोप है कि कमल ने भीड़ के साथ घूम-घूम कर दबौली एल-ब्लॉक निवासी अमरजीत उर्फ टीटू, तेज सिंह, ई-ब्लॉक दबौली निवासी भगवान सिंह और तीसरा जघन्य हत्याकांड में दबौली ई-ब्लॉक निवासी जगजीत सिंह और हरचरण सिंह उर्फ पप्पू की नृशंस हत्या की थी.
कानपुर के दबौली ई ब्लॉक में हिंसा की चार घटनाएं हुई थीं, जिसमें 14 सिखों को मौत के घाट उतार दिया गया था. SIT की जांच में कांग्रेस नेता और पूर्व पार्षद कैलाश पाल जिनकी उम्र 82 साल है उनका भी नाम सामने आया था. इनपर आरोप है कि कांग्रेस नेता कैलाश पाल ने भीड़ इकट्ठा की थी. इसके बाद कैलाश पाल ने भीड़ को उकसाया था. कैलाश पाल तीन बार पार्षद बने थे.
राजनलाल पांडेय 85 साल, दीपक 78 साल, धीरेन्द्र कुमार 82 को अरेस्ट किया था आरोपियों को उम्र के इस पड़ाव में जेल जाना पड़ रहा है. जिसकी वजह से परिवार और उनके मिलने-जुलने वाले भी दुखी हैं. सभी आरोपी किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हैं. कई आरोपियों का इलाज भी चल रहा है
SIT के डीआईजी बालेंद्र भूषण के मुताबिक. 'SIT जांच में 96 आरोपियों के नाम निकलकर सामने आए जिनमें से 22 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 74 की गिरफ्तारी की जानी है और अब तक 28 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. आगे भी गिरफ्तारी का सिलसिला जारी रहेगा.'
SIT के DIG के मुताबिक SIT ने आयोग से 137 शपथ पत्र जुटाए थे यह शपथ पत्र दंगा पीड़ितों, गवाहों ने दिए थे. इसी में से कुछ शपथ पत्रों पर इन आरोपियों के नाम दर्ज थे और गवाहों ने लिखा था कि हत्या करने करने के बाद घर का सामान भी आरोपियों ने लूटा था बाद में कुछ आरोपियों के यहां से माल भी बरामद किया गया था. इसी आधार पर इन सभी को आरोपी बनाया गया और अब गिरफ्तारी की गई है.
आपको बता दे कि कानपुर सिख दंगों की जांच कर रहे SIT के डीआईजी बालेंद्र भूषण का तबादला डीआईजी लॉजिस्टिक्स के पद पर लखनऊ में कर दिया गया है.
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