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भगौड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को नागरिकता देने से पहले भारत सरकार से उसका कैरेक्टर सर्टिफिकेट लिया गया था. एंटीगा सरकार का दावा है कि चोकसी को नागरिकता देने से पहले सभी दस्तावेजी कार्रवाई की गई
एंटीगा सरकार के बयान के मुताबिक तमाम दस्तावेजों की जांच के बाद ही मेहुल चोकसी को नागरिकता मिली है. इसमें भारत की पुलिस की तरफ से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी शामिल है. पुलिस ने एंटीगा सरकार को उसके खिलाफ रिपोर्ट नहीं सौंपी.
एंटीगा सरकार के बयान के मुताबिक
मेहुल चोकसी की अर्जी सिटिजनशिप बाई इन्वेस्टमेंट यूनिट यानी निवेश के जरिए नागरिकता देने वाले विभाग को मई 2017 में मिल गई थी. इसके बाद चोकसी को पिछले साल नवंबर में ही एंटीगा की नागरिकता दे भी दी गई.
इसका मतलब है कि मेहुल चोकसी ने पूरी प्लानिंग के साथ काम किया है. उसने भारत में फ्रॉड उजागर होने से पहले ही अपना पूरा इंतजाम कर लिया था.
मेहुल चोकसी और उसका भतीजा नीरव मोदी दोनो ही भारत में करीब 20 हजार करोड़ रुपए के बैंक घोटाले के आरोपी हैं. और खुलासा होने पर विदेश भाग गए हैं.
लंबे चौड़े बयान में एंटीगा ने ये भी कहा है कि नागरिकता देने से पहले चोकसी के बैकग्राउंड की अच्छी तरह पड़ताल की गई जिसमें थर्ड पार्टी के जरिए चेकिंग, इंटरनेट चेक और थॉमसन रॉयटर्स वर्ल्ड चेक शामिल हैं.
हालांकि बयान में बताया गया है कि चोकसी की बैकग्राउंड जांच के दौरान दो बातें जरूर सामने आईं थीं कि सेबी ने उसकी एक कंपनी के बारे में जांच शुरू की थी. पहली 2014 में और दूसरी 2017 में.
लेकिन मार्केट रेगुलेटर सेबी ने सफाई दी है कि एंटीगा सरकार ने मेहुल चोकसी के बैकग्राउंड के बारे में उससे कोई जानकारी नहीं मांगी थी और न ही सेबी ने कोई जानकारी दी.
नागरिकता देने वाली यूनिट ने ये भी दावा किया है कि अगर भारत में चोकसी के खिलाफ वॉरंट होता तो ये सूचना इंटरपोल को देनी चाहिए थी.
इसबीच सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत लाने के लिए ब्रिटिश सरकार को चिट्ठी भेजी गई है.
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