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अनुपम खेर, चेतन भगत...इन BJP समर्थकों का सरकार से हो रहा मोहभंग?

अनुपम खेर बोले- देश में जो कुछ हो रहा, उसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना जरूरी

क्विंट हिंदी
भारत
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अनुपम खेर, चेतन भगत और सुहेल सेठ 
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अनुपम खेर, चेतन भगत और सुहेल सेठ 
(फोटो: Altered by Quint Hindi) 

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पिछले कुछ वक्त में कई ऐसे जानेमाने चेहरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार पर सवाल उठाए हैं, जिनको लंबे वक्त तक मोदी समर्थक के तौर पर देखा गया है. इस लिस्ट में नया नाम अनुपम खेर का जुड़ा है, जिन्होंने लोगों को चौंकाते हुए ऐसे वक्त में मोदी सरकार की आलोचना की है, जब आलोचनाओं को दबाने के लिए मोदी सरकार की ओर से सकारात्मकता पर जोर देने की खबरें सामने आ रही हैं.

अनुपम खेर के अलावा हाल के दिनों में सुहेल सेठ के रुख में भी मोदी सरकार के प्रति कुछ हद तक बदलाव नजर आया है. इससे पहले चेतन भगत और तवलीन सिंह जैसे ‘मोदी समर्थकों’ के रुख में भी बदलाव दिख चुका है.

अनुपम खेर

अनुपम खेर ने बुधवार को 'एनडीटीवी' को दिए इंटरव्‍यू में कहा कि COVID की दूसरी लहर के बीच देश में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है. खेर ने आगे कहा कि सरकार के लिए समय यह समझने का है कि इमेज बनाने से ज्यादा जरूरी जीवन बचाना है.

इंटरव्‍यू के दौरान जब खेर से पूछा गया कि सरकार की कोशिश अभी राहत देने की बजाय खुद की इमेज बनाने पर ज्‍यादा है, तो नेशनल अवॉर्ड विनर ऐक्‍टर ने कहा, ‘सरकार के लिए जरूरी है कि वो इस चुनौती का सामना करे और उन लोगों के लिए कुछ करे जिन्होंने उसे चुना है.’ हालांकि खेर ने यह भी कहा कि दूसरे राजनीतिक दलों का इन खामियों का अपने हक में फायदा उठाना भी गलत है.

बॉलीवुड एक्टर ने गंगा और बाकी नदियों में मिलने वाले शवों का भी जिक्र किया. उन्‍होंने कहा, 'कई मामलों में आलोचना वैध है. कोई अमानवीय व्यक्ति ही होगा, जिस पर नदियों में बहती लाशों से असर न पड़े.

खेर ने कहा, ''मेरे हिसाब से जनता के तौर पर हमें गुस्सा आना चाहिए. जो हो रहा है, उसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है. कहीं न कहीं उससे चूक हुई है.''

खेर का यह रुख सोशल मीडिया पर लोगों को चौंका रहा है. इसकी वजह यह है कि अब तक वह मोदी सरकार के समर्थन में ही दिखे हैं. पिछले दिनों उन्होंने पत्रकार शेखर गुप्ता के एक ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, ''कोरोना एक विपदा है. पूरी दुनिया के लिए. हमने इस महामारी का सामना पहले कभी नहीं किया. सरकार की आलोचना जरूरी है. उनपे तोहमत लगाइए. पर इससे जूझना हम सबकी भी जिम्मेदारी है. वैसे घबराइए मत. आएगा तो मोदी ही!! जय हो.''

किसी के एक ये कहने पर कि मैंने इस कदर सरकार को नाकाम होते नहीं देखा, अनुपम ने जब कहा कि ''आएगा तो मोदी ही'' तो सोशल मीडिया पर उनकर जमकर ‘पिटाई’ हुई. लोगों ने जी भरकर आलोचना की. ऐसे में सवाल यह है कि क्या उनका ताजा बयान, ''आएगा तो मोदी ही'' वाले जवाब का प्रायश्चित है? हमें नहीं मालूम. लेकिन इतना पक्का है कि अनुपम के एक बयान पर कोई राय बनाना जल्दबाजी हो सकती है.

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चेतन भगत

7 मई को अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया में चेतन भगत का एक आर्टिकल छपा, जिसका शीर्षक था- ''किसी भी कीमत पर टीकाकरण कीजिए: COVID लहर को काबू में करने का पहला कदम यह समझना है कि हमसे कहां गलती हुई.''

इस लेख में भगत ने लिखा, ‘’हम सभी गलतियां करते हैं. हालांकि, किसी गलती को स्वीकार न करना ज्यादा बड़ी गलती है. चीजों को नकारना और अहंकार बिखरे हुए आत्मसम्मान का संकेत है और भविष्य की आपदा के लिए एक नुस्खा है.’’

आर्टिकल में उन्होंने लिखा कि 2020 में COVID-19 वैक्सीन की पर्याप्त खुराकें सुरक्षित करने की दिशा में सही कदम न उठाया जाना बड़ी गलती थी.

8 मई को चेतन भगत ने सीधे तौर पर किसी का जिक्र किए बिना लिखा, ''अहंकार. अंधविश्वास. अशिष्टता. बंद सोच. अवैज्ञानिक मानसिकता. कमजोर अहंकार. नकली अभिमान. पहचान का संकट. कम आत्म सम्मान. दयनीय जीवन. ग्रुपथिंक. भीड़ का हिस्सा बनने में सुरक्षा. गाली. दबंगई. कट्टरता. पिछड़ापन. दुर्भाग्य से इस सब के लिए कोई वैक्सीन नहीं है.''

चेतन भगत को लंबे वक्त तक प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक के तौर पर देखा गया है. जुलाई 2012 में भगत ने लिखा था, ''यह मोदी का व्यक्तित्व है, तात्कालिकता की भावना है, उनकी समृद्धि और निर्णायकता की तलाश है, जो आज के असंतुष्ट युवाओं के साथ तालमेल बिठाती है. अच्छे कॉलेजों में सीट नहीं हैं, अच्छी कंपनियों में पर्याप्त नौकरियां नहीं हैं. युवा चाहता है कि इस पर ध्यान दिया जाए, मोदी ऐसे शख्स लगते हैं, जो यह कर सकते हैं.''

साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी भगत कई मौकों पर मोदी और उनकी सरकार के पक्ष में दिखे. हालांकि, धीरे-धीरे भगत के रुख में बदलाव दिखने लगा.

दिसंबर 2019 में उन्होंने युवाओं का ही जिक्र करते हुए लिखा था, ''युवा गुस्से में हैं. पर्याप्त नौकरियां नहीं हैं. वेतन कम है. उनके साथ खिलवाड़ न करें. पहली प्राथमिकता अर्थव्यवस्था को फिर से वापस उठाने की होनी चाहिए.'' लीक से हटकर भगत के इस ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया पर लोग चौंक गए थे और उन्होंने लिखा था- ‘’लगता है कि चेतन भगत की रीढ़ की हड्डी बढ़ गई है.’’

पिछले कुछ वक्त में चेतन भगत कई बार मोदी सरकार पर सवाल उठाते दिखे हैं.

सुहेल सेठ

प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक माने जाने वाले लेखक और एक्टर सुहेल सेठ ने 11 मई को लिखा, ''हैलो शासकों: हम महामारी के बीच में हैं. लोग मर रहे हैं. यह वक्त निबंध प्रतियोगिता या पत्र लेखन कौशल बढ़ाने का नहीं है.'' इसके आगे उन्होंने लिखा है कि वो करो जिसके लिए आपको चुना गया है, अगर हम महान पत्र लेखक चाहते तो हमने साहित्यकारों को चुना होता.

11 मई को ही उन्होंने कहा, ''मैं बीजेपी में मंत्रियों और बाकी लोगों के लिए दुखी हूं. उन्हें तारीफ ट्वीट करनी होती है; फिर लेटर को रीट्वीट करना होता है, फिर तथ्यों को ट्वीट करना होता है. फिर तारीफ वाले न्यूज आर्टिकल को ट्वीट करना होता है, उसके बाद और ट्वीट्स से आलोचनाओं का खंडन करना होता है, और फिर जन्मदिन की बधाई और ऐसे ही बाकी ट्वीट करने होते हैं. वे काम कब करते हैं?''

हाल ही में सेठ ने कहा था कि COVID-19 महामारी के बीच मोदी सरकार की ओर से पारदर्शिता की कमी है.

उन्होंने कहा, ''नरेंद्र मोदी एक कुशल प्रशासक हैं. उनकी सरकार ने पहले कार्यकाल में जो किया, वो भारत के भविष्य को ध्यान में रखकर किया गया था. अब इस COVID-19 संकट के बीच कोई नहीं जानता कि क्या करना है, लेकिन सरकार की तरफ से पारदर्शिता की कमी है.''

सुहेल के मुताबिक, उन्होंने राजनीतिक कैंपेनिंग के लिए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और दिवंगत बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी के साथ काम किया था. इसलिए भी उनको लंबे वक्त से बीजेपी से जोड़कर देखा जाता है. साल 2008 में उन्होंने ''भारत को नरेंद्र मोदी की जरूरत क्यों है'' शीर्षक से एक लेख लिखा था. इसमें सेठ ने लिखा था- ''नरेंद्र मोदी आज, वास्तव में एक परिवर्तनकारी नेता हैं!''

तवलीन सिंह

कॉलमिस्ट और लेखिका तवलीन सिंह एक वक्त तक नरेंद्र मोदी की समर्थक मानी जाती थीं. इसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि उनके इस रुख में बदलाव आने लगा.

इस बारे में उन्होंने अपनी किताब ‘मसीहा मोदी: अ टेल ऑफ ग्रेट एक्सपेक्टेशन्स’ में लिखा है, ‘’अप्रैल 2017 में मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से वो क्षण था, जब मैंने मोदी के अपने समर्थन पर गंभीरता से सवाल करना शुरू किया. 9 अप्रैल 2017 को इंडियन एक्सप्रेस में छपे एक कॉलम में मैंने लिखा था- एक आदमी को पीट-पीट कर मारते देखना भयानक है. और फिर भी मैंने खुद को एक बार से ज्यादा बार पहलू खान की लिंचिंग के वीडियो को देखने के लिए मजबूर किया...इसलिए कि मेरे लिए यह समझना मुश्किल था कि ऐसा क्यों हो रहा है.’’

तवलीन ने हाल ही में अपने एक आर्टिकल में पूछा कि 'क्या पश्चिम बंगाल के लिए प्रधानमंत्री ने भारत को दांव पर लगा दिया था? क्या यही मुख्य कारण है कि आज देश का इतना बुरा हाल है? जानते थे प्रधानमंत्री और उनके आला सलाहकार कि महाराष्ट्र में कोरोना का नया रूप और नई लहर आ पहुंची फरवरी में ही, लेकिन इसके बावजूद चुनाव आयोग ने 8 दौर में वोटिंग कराने का फैसला लिया.'

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Published: 13 May 2021,03:46 PM IST

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