मेरी बार्बी डॉल iPhone से हार गई और मुझे दुखी कर गई

2007 जून में एप्पल ने आईफोन लांच किया, इसका बार्बी जैसी आईकाॅनिक प्रोडक्ट पर निगेटिव असर पड़ा.

कौशिकी कश्यप
भारत
Updated:


बचपन में लड़कियों के पास बार्बी डाॅल्स का कलेक्शन होना किसी लग्जरी से कम नहीं होता.
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बचपन में लड़कियों के पास बार्बी डाॅल्स का कलेक्शन होना किसी लग्जरी से कम नहीं होता.
(फोटो: iStock)

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बड़े होने तक बार्बी डाॅल के साथ मेरा लगाव कम नहीं हो पाया. कलेक्शन रखने का शौक रहा. कंबल और तकिए के साथ गुलाबी रंग में बार्बी के लिए आरामदायक बिस्तर..अगली बार मार्केट जाओ तो इंद्रधनुषी बालों वाली बार्बी मिलती. उसे भी पुरानी बार्बी की दोस्त बना कर घर लाने की इच्छा मन में जाग जाती.

हालांकि बचपन में लड़कियों के पास बार्बी डाॅल्स का कलेक्शन होना किसी लग्जरी से कम नहीं होता.

(Source: Giphy.com)

जिस तरह से मां घर पर हमारी देखभाल करती ठीक वैसे ही मैं अपनी बार्बी डाॅल की देखभाल करने में लगी रहती. जितना ध्यान बार्बी के बाल संवारने और कपड़े बदलने में लगता उतने ही शौक से उसके कपड़े, एसेसरीज, जूतियां भी सहेजे जाते.

बार्बी का परिवार भी बढ़ता गया. बार्बी पेट्स, बार्बी होम्स, बार्बी फर्नीचर ये सब भी मार्केट में आने लगे. 1959 से लेकर अब तक बार्बी ने समय के साथ खुद को बदला है. वो सिर्फ एक ‘फैशन डाॅल’ नहीं है. किचन, फैशन, पैशन, वाॅरियर सबकुछ में आगे दिखती है बार्बी.

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लेकिन आईफोन के आ जाने से बचपन और उससे जुड़ी ऐसी यादें शायद बननी बंद हो गई हैं.

एप्पल कंपनी iPhone की 11वीं सालगिरह मना रही है. ये ही वजह है कि लोगों को उम्मीद है कि नए फोन में कई नए और शानदार फीचर्स होंगे.

आईफोन में खोता बचपन

(फोटो: द क्विंट)

2007 जून में एप्पल ने आईफोन लांच किया. स्मार्टफोन रिवाॅल्यूशन ने लोगों के कामकाज का तरीका तो बदला ही कई इंडस्ट्रीज पर भी इसका निगेटिव असर पड़ा.

वाॅल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट कहती है कि आईफोन ने कई आईकाॅनिक प्रोडक्ट पर असर डाला है. इसकी मार बार्बी पर भी पड़ी. पिछले 10 सालों में 120 करोड़ आईफोन बिके जबकि बार्बी की बिक्री 100 करोड़ रही.

टीनएज का शौक सोनी वाॅकमैन. याद है ना.. ये भला कोई कैसे भूल सकता है. टीनएज रोमांस का साथी. इसकी पिछले 10 सालों में महज 20 करोड़ बिक्री हो पाई. मतलब बचपन से बार्बी डॉल और टीनएज से वॉकमैन- दोनों ही अलविदा हो गए. अकेलापन का एहसास बस छोड़ गए.

मुझे अपनी बार्बी के लिए अफसोस होता है. छोटी बच्चियों की खास दोस्त समझी जाने वाली बार्बी.. महज एक खिलौना नहीं बल्कि वो हमारे कल्पनाओं में रंग भरती थी. हम दोस्त बार्बी के सिर्फ कपड़े ही नहीं बदलते, बाल ही नहीं संवारते थे. मैं पूरा दिन तो नहीं लेकिन कई घंटे अपनी दोस्त के साथ बैठकर बार्बी के साथ खुद को जीती थी.

बार्बी हमारा जरिया थी अलग-अलग लाइफस्टाइल के बारे में जानने का और उसे अपनाने का. मुझे ये भी पता है कि इकलौती मैं ही नहीं जिसे बार्बी इतनी प्यारी लगती हो. लेकिन आईफोन के सामने बार्बी को हारते देखना मेरे बचपने को नाराज करने और मुझे दुखी करने के लिए काफी है.

आईफोन ने हमें बहुत कुछ दिया भी है. स्मार्टफोन की क्रांति ने दुनिया बदली. लेकिन बचपन के रंग तो बार्बी के रंगों से ही थे. अब उन रंगों को कहां ढूंढें!

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Published: 23 Jun 2017,01:34 PM IST

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