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नोटबंदी के बाद प्रतिबंधित करेंसी का 99.3 फीसदी हिस्सा बैंकों में वापस आने संबंधी आरबीआई की रिपोर्ट को लेकर मोदी सरकार की जमकर आलोचना हो रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी गुरुवार को नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार को जमकर घेरा. राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पीएम मोदी को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने देश को नोटबंदी की चोट क्यों पहुंचाई?
राहुल के इन आरोपों पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पलटवार किया है. जेटली ने राहुल गांधी के हमलों पर सिलसिलेवार जवाब देते हुए कहा है कि अल्प ज्ञान खतरनाक होता है. जेटली ने कहा कि बैंकिंग सिस्टम से बाहर मौजूद करंसी को अमान्य करना ही नोटबंदी का एकमात्र लक्ष्य नहीं था. इसका लक्ष्य अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाना और कालेधन पर प्रहार भी था.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राहुल गांधी को जवाब देते हुए अपने ट्वीट में लिखा, "अल्प ज्ञान खतरनाक होता है. राहुल गांधी की कल्पना कि 'नोटबंदी एनपीए खाताधारकों की मदद के लिए थी', यह भूल जाते हैं कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए शोधन अक्षमता कानून (IBC) यानी बैंकरप्सी कानून के चलते एनपीए बकाएदारों की कंपनियां चली गईं."
वित्त मंत्री जेटली ने लिखा, 'जब कैश बैंक में जमा किया जाता है तो इसके मालिकाना हक की गुमनामी खत्म हो जाती है. जमा कैश के मालिकों की पहचान हो गई है. इनकी जांच चल रही है कि जमा की गई रकम उनकी आमदनी के मुताबिक है या नहीं. 18 लाख जमाकर्ताओं की जांच चल रही है. इनमें से बहुतों से टैक्स और पेनल्टी वसूल की जा रही है. बैंकों में जमा कैश का मतलब यह नहीं है कि सारा पैसा सफेद ही है.'
अरुण जेटली ने नोटबंदी के फायदे गिनाते हुए कहा कि नोटबंदी से टैक्स कलेक्शन भी बढ़ा है. उन्होंने कहा, 'मार्च 2014 में 3.8 करोड़ टैक्स रिटर्न फाइल हुए. 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 6.86 करोड़ हो गया. पिछले दो सालों में इनकम टैक्स में 19 और 25 फीसदी की वृद्धि हुई है.'
जेटली ने लिखा, 'नोटबंदी के बाद 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू हुआ. पहले ही साल में पंजीकृत कर निर्धारण में 72.5 फीसदी की वृद्धि हुई. इसकी संख्या 66.17 लाख से बढ़कर 114.17 लाख करोड़ हो गई.'
जेटली ने कहा कि ये सब नोटबंदी के सकारात्मक प्रभाव हैं.
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