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मोदी सरकार किसानों के कर्ज माफी के लिए किसी भी राज्य की सरकार की अब कोई मदद नहीं करेगी. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यों को किसानों का कर्ज माफ करने के लिए केंद्र सरकार की किसी भी तरह की आर्थिक मदद को खारिज कर दिया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार की नजर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने पर है. कर्ज माफी को लेकर अलग अलग राज्यों में किसान आंदोलन कर रहे हैं. इसी मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में अरुण जेटली ने कहा,
एफआरबीएम समिति ने मौजूदा साल के लिए 3.2 फीसदी राजकोषीय घाटा लक्ष्य तय किया है.
जेटली का यह बयान उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद पंजाब सरकार के किसानों के कर्ज माफी के ऐलान के एक दिन बाद आया है.
मध्य प्रदेश में किसान कर्ज माफी और कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. प्रदेश में हाल ही में 10 किसान खुदकुशी कर चुके हैं. छह जून को मंदसौर में पुलिस की गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गई, जबकि घायल एक अन्य की बाद में मौत हो गई.
जेटली पहले ही कह चुके हैं कि जो राज्य किसानों के कर्ज माफ करना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए साधन खुद जुटाने होंगे.
राज्य सरकारों द्वारा किसानों की कर्ज माफी पर चिंता व्यक्त करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पहले ही कह चुका है कि इस तरह के कदम से अर्थव्यवस्था को नुकसान और इन्फ्लेशन के अभी या बाद में बढ़ने का खतरा बढ़ता है.
आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि राज्य के बजट में जब तक जरूरी फाइनेंसियल साधन न हो, राज्यों को किसानों की कर्ज माफी जैसे कदम से दूर रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह पिछले 2-3 साल के दौरान हासिल वित्तीय लाभ पर पानी फेर सकता है.
इनपुट- आईएनएस
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