advertisement
दिल्ली में एक अगस्त से होटल, साप्ताहिक बाजार खोलने के दिल्ली सरकार के फैसले को एलजी ने पलट दिया है. केजरीवाल सरकार ने 30 जुलाई को ट्रायल के तौर पर इन्हें खोलने का ऐलान किया था. लेकिन अब सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार की UNLOCK 3 की योजना को किनारे कर दिया है और कहा है कि अभी दिल्ली में कोरोना की स्थिति नाजुक बनी हुई है. हाल फिलहाल एलजी ने केजरीवाल सरकार के कई फैसलों को पलटा है और अब लग रहा है कि सरकार और एलजी दफ्तर में फिर एक बार टकराव की स्थिति आ गई है.
नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने पुलिस पर पक्षपात के आरोप लगाए और दिल्ली पुलिस के वकीलों का पैनल खारिज कर दिया. इसके बाद सरकार ने कहा कि वो खुद पैनल तैयार करेंगे. लेकिन केजरीवाल कैबिनेट ने दिल्ली हिंसा मामले की जांच के लिए जो पुलिस ने वकीलों का पैनल बनाया था, उसे लेफ्टिनेंट गवर्नर ने खारिज कर दिया. केजरीवाल कैबिनेट की तरफ से कहा गया कि दिल्ली पुलिस के इस पैनल से निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती है. दिल्ली कैबिनेट का मानना था कि दिल्ली दंगों के संबंध में दिल्ली पुलिस की जांच को कोर्ट ने निष्पक्ष नहीं माना है. ऐसे में दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूरी देने से केस की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है.
जून 2020 में दिल्ली सरकार ने एक रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया था कि दिल्ली के 90 फीसदी लोगों ने कहा कि जब तक कोरोना मामले हैं तब तक दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्लीवासियों का इलाज हो. इसके बाद केजरीवाल सरकार के इस फैसले को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने पलट दिया था. तब अनिल बैजल ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिए कि दिल्ली के निवासी नहीं होने के आधार पर किसी भी रोगी को चिकित्सा उपचार से इनकार नहीं किया जाएगा. वैसे दिल्ली सरकार के इस फैसले पर सारी पार्टियों ने खूब आलोचना की थी.
जून में ही दिल्ली सरकार ने फैसला किया ऐसे लोग जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं दिख रहे हैं उनका कोरोना टेस्ट नहीं किया जाएगा. दिल्ली के उपराज्यपाल ने केजरीवाल सरकार के इस फैसले को भी पलट दिया था और कहा था कि चाहे लक्षण हों या न हों कोई भी कोरोना टेस्ट करा सकता है. दिल्ली के उपराज्यपाल ने कहा था कि ICMR की गाइलाइंस का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए.
जून 2015 में दिल्ली सरकार ने एंटी करप्शन ब्यूरो में बिहार पुलिस के 5 अधिकारियों को शामिल कर लिया. तब दिल्ली के गवर्नर नजीब जंग ने दिल्ली सरकार का फैसला बदल दिया और दावा किया एंटी करप्शन ब्यूरो के बॉस वो हैं और दिल्ली सरकार इन अधिकारियों की नियुक्ति नहीं कर सकती. इसके बाद उप राज्यपाल ने अपने पसंद के अधिकारी को दिल्ली करप्शन ब्यूरो का प्रमुख बनाया तो दिल्ली सरकार ने नजीब जंग के इस फैसले का विरोध किया.
दिल्ली सरकार ने जून 2015 में गृह सचिव धरमपाल का ट्रांसफर किया तो लेफ्टिनेंट गवर्नर ने इस फैसले पर वीटो लगा दिया और कहा कि एलजी की अनुमति के बिना ट्रांसफर नहीं हो सकता. इसके बाद भी अधिकारियों के ट्रांसफर के अधिकार को लेकर विवाद चलता रहा.
1 अगस्त 2015 में ही दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने फैसला किया एग्रीकल्चर जमीन के लिए सर्किट रेट में इजाफा किया जाए. इसके बाद तब के राज्यपाल नजीब जंग ने इस फैसले पर आपत्ति जताआई. इसी महीने में CNG फिटनेस घोटाले पर जांच के लिए दिल्ली की सरकार ने समिति बनाई इस पर भी एलजी ने आपत्ति जताई थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)