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असम के कोकराझार जिले में सोमवार, 18 अप्रैल को उन दो कथित गो-तस्करों (alleged cattle smugglers) की हत्या "चरमपंथियों द्वारा घात” लगाकर कर दी गयी जिनको उत्तर प्रदेश पुलिस ने 13 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. यह दावा है असम पुलिस (Assam Police) का. इस घटना में 4 पुलिसकर्मी भी घायल हुए जबकि पुलिस का एक वाहन भी क्षतिग्रस्त हुआ है.
मारे गए अकबर बंजारा और सलमान को मेरठ पुलिस ने 13 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. दोनों मेरठ के फलावदा इलाके के रहने वाले थे और दोनों पर ही मेरठ और कोकराझार में गो-तस्करी के आरोप में मामला दर्ज था. सूचना मिलने पर असम पुलिस का एक दल मेरठ आया और वारंट दिखाकर उन्हें अपनी कस्टडी में ले लिया.
कोकराझार के एसपी प्रतीक विजयकुमार ने मंगलवार, 19 अप्रैल को कहा कि “पिछली रात कोकराझार जिले के गोसाइगांव एरिया में हुए गोलीबारी में दो गो-तस्कर मारे गए जबकि 4 पुलिस कर्मी घायल हो गए. हमने मौके से AK सीरीज की एक राइफल और गोली बरामद की है. सर्च ऑपरेशन जारी है”
दोनों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 506 (आपराधिक धमकी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 386 (जबरन वसूली), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति का वितरण), 120 बी (आपराधिक साजिश) के साथ-साथ अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया था.
पुलिस का कहना है कि हमला रात के करीब 1.15 बजे हुआ जब तस्करों को जमदुआर इलाके में ले जाया जा रहा था. उन्हें संकोश नदी के किनारे तस्करी मार्गों की पहचान के लिए यह लाया गया था.
पुलिस के अनुसार जिस गाड़ी में दोनों मौजूद थे उनपर “जमदुआर के पास चरमपंथियों ने घात लगाकर हमला” कर दिया. इसके बाद पुलिसकर्मी कूद कर गाड़ी के बाहर आ गए और पोजीशन ले ली ताकि जवाबी हमला किया जा सके. लेकिन दोनों गिरफ्तार आरोपी गाड़ी से बाहर नहीं आ पाए और उन्हें गोली लग गई.
पुलिस ने यह भी कहा कि कटे हुए पेड़ों से घटनास्थल पर रोड को ब्लॉक भी किया गया था. कवर लेने के बाद पुलिसकर्मियों ने जवाबी फायरिंग की. दोनों पक्षों के बीच लगभग 10-12 मिनट गोलीबारी हुई.
मौके से एक AK-47 राइफल, 2 मैगजीन, 35 राउंड जिन्दा कारतूस और 28 राउंड खाली खोखे बरामद किये गए. पुलिस ने कहा कि “जांच के दौरान उन्होंने खुलासा किया था कि वे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और असम के गोवंशो को मेघालय के रास्ते बांग्लादेश में तस्करी कर रहे थे”.
पुलिस के अनुसार, दोनों ने खुलासा किया कि बांग्लादेश में स्थित कट्टरपंथी आतंकवादी संगठन,और साथ ही पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI), इस रैकेट में शामिल थे. इस व्यापार से प्राप्त धन का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा रहा था.
पुलिस ने कहा कि कुछ पैसे का इस्तेमाल आतंकी फंडिंग के लिए किया जा रहा था और असम और मेघालय के चरमपंथी संगठनों को भी जा रहा था.
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