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असम में फायरिंग से 2 लोगों की मौत- किन लोगों से जमीन खाली कराने गई थी पुलिस?

CM सरमा ने कहा है कि दरांग में अतिक्रमण हटाने गई पुलिस को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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<div class="paragraphs"><p>असम में अवैध कब्जे को हटाता प्रशासन</p></div>
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असम में अवैध कब्जे को हटाता प्रशासन

(फोटो: ट्विटर/हिमंता बिस्वा सरमा/Altered by Quint)

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असम के दरांग जिले (Darrang Firing) के धौलपुर में 23 सितंबर को अतिक्रमण हटाने गई पुलिस की फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए. धौलपुर में हुई हिंसक घटना में कम से कम 11 पुलिसकर्मी घायल हो गए. मृतकों की पहचान सद्दाम हुसैन और शेख फरीद के रूप में हुई है. घटना से एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें एक फोटोजर्नलिस्ट एक शख्स के ऊपर कूदता हुआ दिखाई दे रहा है. इस घटना को लेकर असम सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही है.

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि पुलिस को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का विरोध कर रहे सैकड़ों लोगों की भीड़ ने सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया. सरमा ने कहा कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई, जो 20 सितंबर को शुरू हुई थी, 24 सितंबर को भी जारी रहेगी.

असम में किन लोगों को अतिक्रमणकारी बता रही है सरकार? मुख्यमंत्री ने कार्रवाई के आदेश कब दिए थे? जानिए.

जून में दिए थे अतिक्रमणकारियों को हटाने का आदेश

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इसी साल 7 जून को दरांग के सिपझार में कहा था, "असमिया पहचान की रक्षा के लिए असम के सभी हिस्सों से घुसपैठियों को हटाया जाएगा." सरमा ने कृषि उद्देश्यों में युवाओं के रोजगार के लिए सरकार के स्वामित्व वाली 77,000 बीघा से अधिक भूमि से अतिक्रमण हटाने का वादा किया था. सरकार जिस जमीन पर अतिक्रमण की बात कह रही है, उस इलाके में एक शिव मंदिर भी है. मुख्यमंत्री ने मंदिर प्रशासन और स्थानीय लोगों से यहां मनिकुट, गेस्ट हाउस और बाउंड्री बनाने का भी वादा किया था.

इसके लिए असम सरकार ने एक 'गरुकुट्टी प्रोजेक्ट' भी शुरू किया है, जिसके लिए 9.6 करोड़ रुपये दिए गए हैं. इस प्रोजेक्ट की निगराकी के लिए सरकार ने एक कमेटी का भी गठन किया है, जिसके सदस्य विधायक हैं. सरमा के इसी आदेश के तहत पुलिस अब कार्रवाई कर रही है.

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800 परिवारों को हटाया गया

अधिकारियों का कहना है कि बंगाली भाषी मुसलमानों के लगभग 800 परिवार कई सालों से लगभग 4,500 बीघा (602.40 हेक्टेयर) सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर रहे थे और सरकार ने हाल ही में बसने वालों को हटाकर भूमि का इस्तेमाल कृषि उद्देश्यों के लिए करने का निर्णय लिया.

सालों से इस जमीन पर रह रहे लोग बेघर हुए

नॉर्थईस्ट में क्विंट की सहयोगी अंजना दत्ता ने बताया कि बंगाली भाषी मुस्लिम यहां सालों से रह रहे हैं. असम सरकार की इस कार्रवाई से करीब पांच हजार लोग प्रभावित हुए हैं. अंजना दत्ता ने बताया कि सरकार ने लोगों से वादा किया था कि सभी परिवारों को जमीन दी जाएगी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.

पुलिस का आरोप- भीड़ ने पथराव किया

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दरांग के एसपी, सुशंता बिस्वा सरमा ने कहा कि इलाके में करीब 1500-2000 लोग जमा थे. पहले तो कोई बात नहीं बनी, लेकिन जब पुलिस ने जेसीबी वाहनों से अतिक्रमण हटाना शुरू किया तो भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया और पुलिस पर चाकू, भाले और अन्य चीजों से हमला कर दिया.

उन्होंने कहा, "एक पुलिस अधिकारी के सिर पर कुल्हाड़ी से वार किया गया और वो गंभीर रूप से घायल हो गया. हमें भीड़ को तितर-बितर करने और अपने जवानों को बचाने के लिए फायरिंग करनी पड़ी. क्षेत्र में अतिरिक्त बल तैनात किया गया था और स्थिति अब नियंत्रण में है." बता दें कि एसपी सुशंता, मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के छोटे भाई हैं.

मामले की जांच के आदेश

आलोचना के बाद असम सरकार ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के एक रिटार्ड जज द्वारा न्यायिक जांच का आदेश दिया. सरकार ने कहा, "गृह और राजनीतिक विभागों ने ढालपुर इलाके में हुई गोलीबारी की घटना में दो नागरिकों की मौत और पुलिस कर्मियों सहित कई अन्य लोगों के घायल होने की परिस्थितियों की जांच करने का फैसला किया है."

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