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(वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी)
(वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा)
असम में 31 अगस्त को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की आखिरी लिस्ट पब्लिश हो चुकी है. इस लिस्ट में असम में रह रहे भारतीय नागरिकों के नाम शामिल हैं. असम में रहने वाले 19,06,657 लोगों को इस लिस्ट में जगह नहीं मिली है. इन लोगों पर अब फॉरनर्स ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किए जाने का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि, NRC की फाइनल लिस्ट में जगह ना बना पाने वाले लोगों के लिए अभी भी उम्मीद का रास्ता पूरी तरह बंद नहीं हुआ है.
NRC की आखिरी लिस्ट में नहीं है नाम, तो क्या है आगे का विकल्प?
जिन लोगों का नाम NRC की फाइनल लिस्ट में नहीं है, अब उनके पास फॉरनर्स ट्रिब्यूनल जाकर अपील करने का विकल्प है. यह अपील 120 दिनों (दिसंबर 2019 के अंत) तक की जा सकेगी. अगर कोई फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में केस हार जाता है तो उसके पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी अपील करने का विकल्प होगा.
क्या है NRC का मकसद?
NRC का मकसद अवैध आव्रजकों (माइग्रेंट्स) की पहचान करना है. मौजूदा NRC में जगह पाने के लिए 1951 के NRC या 24 मार्च, 1971 तक मतदाता सूची/स्वीकार्य दस्तावेजों में आवेदक/आवेदकों के परिजनों का नाम होने की शर्त तय की गई थी. स्वीकार्य दस्तावेजों में जन्म प्रमाण पत्र, रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, भूमि रिकॉर्ड, सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, पीआरसी, पासपोर्ट, एलआईसी पॉलिसी, सरकारी लाइसेंस या प्रमाण पत्र, एजुकेशनल सर्टिफिकेट और कोर्ट के रिकॉर्ड्स आदि शामिल थे.
जिन लोगों का नाम NRC में नहीं है, उन्हें विदेशी घोषित करने का काम फॉरनर्स ट्रिब्यूनल का होगा. असम सरकार के गृह और राजनीतिक विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी कुमार संजय कृष्णा के हस्ताक्षर वाले एक नोटिस में कहा गया है- ‘’फॉरनर्स एक्ट, 1946 और फॉरनर्स ट्रिब्यूनल ऑर्डर, 1964 के प्रावधानों के मुताबिक, सिर्फ फॉरनर्स ट्रिब्यूनल को ही किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित करने का अधिकार है. इसलिए अगर NRC में किसी व्यक्ति का नाम नहीं है तो महज इससे ही वह विदेशी घोषित नहीं हो जाएगा.’’
NRC की आखिरी लिस्ट में कमियां रहीं तो क्या करेगी सरकार?
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने 19 अगस्त को संकेत दिया था कि NRC के आखिरी प्रकाशन के बाद अगर इसमें कमियां रहती हैं तो उनसे निपटने के लिए सरकार विधायी विकल्पों पर विचार कर सकती है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद एक सवाल के जवाब में सोनोवाल ने कहा, “लोकतंत्र में हर किसी को सवाल पूछने का अधिकार है. NRC के प्रकाशन के बाद, अगर भविष्य में जरूरत पड़ी तो जो भी जरूरी होगा हम वो कदम उठाएंगे.” दरअसल सोनोवाल से पत्रकारों ने पूछा था कि क्या सरकार आखिरी NRC में गलत तरीके से शामिल हो गए नामों से निपटने के लिए विधायी विकल्पों पर विचार करेगी?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने केंद्र और असम सरकार की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था जिसमें गलत तरीके से नामों के शामिल होने की जांच के लिए नमूना पुनर्सत्यापन का अनुरोध किया गया था.
आखिरी ड्राफ्ट पब्लिश होने तक कितने लोग थे NRC से बाहर?
पिछले साल 30 जुलाई को जारी हुए NRC ड्राफ्ट में 40.7 लाख लोगों के नाम नहीं थे. इसके बाद 26 जून 2019 को आए अतिरिक्त ड्राफ्ट में करीब एक लाख लोगों के नाम और बाहर हो गए. इस तरह आखिरी ड्राफ्ट के आने तक करीब 41 लाख लोगों के नाम NRC में नहीं थे.
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