Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019असम की 80 साल की अकोल रानी को 10 साल बाद भारतीय घोषित किया गया

असम की 80 साल की अकोल रानी को 10 साल बाद भारतीय घोषित किया गया

पचपन वर्षीय अंजलि नमसुद्र ने कहा कि स्थानीय वकीलों ने परिवार की मदद की और हमारे लिए सारा खर्च वहन किया.

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>असम की 80 साल की महिला को 10 साल बाद भारतीय घोषित किया गया</p></div>
i

असम की 80 साल की महिला को 10 साल बाद भारतीय घोषित किया गया

फोटो- क्विंट

advertisement

असम (Assam) की 80 साल की अकोल रानी नमसुद्र को आखिरकार 11 मई को एक 'भारतीय' घोषित किया गया है. तीन महीने पहले महिला को एक नोटिस मिला था जिसमें उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कहा गया था.

वहीं 10 साल पहले नागरिकता साबित करने के लिए महिला के बेटे को भी नोटिस आया था जिसके बाद उसके 40 वर्षीय बेटे की कथित तौर पर आत्महत्या से मौत हो गई थी.

कछार में 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करते हुए, नरेंद्र मोदी ने कहा था, "अर्जुन अपने लिए नहीं बल्कि डिटेंशन कैंपों में लाखों लोगों के अधिकारों के लिए उन्होंने जान गंवाई थीं. अर्जुन नामसुद्र ने उनके लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है."

अर्जुन नमसुद्र की मृत्यु खुद प्रधानमंत्री द्वारा स्वीकार किए जाने के बावजूद, सिलचर से लगभग 20 किलोमीटर दूर हरितकर गांव की निवासी अकोल रानी को फरवरी में ट्रिब्यूनल द्वारा साल 2000 में पहली बार दर्ज किए गए एक मामले के आधार पर तलब किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने "अवैध रूप से” 25 मार्च 1971 के बाद भारत में प्रवेश किया था.

अकोल का बेटा अर्जुन और बेटी अंजलि दोनों को 2012 में नोटिस मिला था. हालांकि, परिवार के अनुसार, अर्जुन की कथित तौर पर गिरफ्तारी और बांग्लादेश भेजे जाने के डर से आत्महत्या से मौत हो गई थी. इसके एक साल बाद, उनका परिवार अदालत में पेश हुआ और उन्होंने साल 2013 में उन्हें 'भारतीय' घोषित कर दिया. दो साल बाद, अंजलि को ट्रिब्यूनल द्वारा भी भारतीय घोषित किया गया.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, फरवरी में अपनी मां को मिले नोटिस पर बोलते हुए अंजलि ने कहा,

“मेरे भाई के साथ जो हुआ उसके कारण हम पहले ही बहुत कुछ सह चुके हैं. हमें विश्वास नहीं हो रहा था कि आखिर प्रधानमंत्री ने जो कहा उसके बाद मेरी मां को फिर से इससे गुजरना पड़ेगा.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सिलचर में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल (FT) ने अब फैसला सुनाया है कि अकोल विदेशी नहीं है, क्योंकि उन्होंने सबूत दिखाकर अपने मामले को सफलतापूर्वक साबित कर दिया है.

पचपन साल की अंजलि नमसुद्र ने कहा कि स्थानीय वकीलों ने परिवार की मदद की और हमारे लिए सारा खर्च वहन किया.

एक्सप्रेस के मुताबिक, "नामसुद्र के लिए कोर्ट में सामने पेश हुए वकील अनिल डे ने कहा, "1965, 1970, 1977 में मतदाता सूची में उनका नाम आने के अलावा, उनके नाम पर 1971 से पहले के जमीन को लेकर चीजे भी थीं."

बता दें कि, 31 अगस्त 2019 को असम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) जारी किया गया - राज्य में रहने वाले भारतीय नागरिकों की एक सूची में असम में रहने वाले 19 लाख लोगों के नाम सूची से बाहर कर दिए गए थे.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT