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अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई. ये वारदात उस समय हुई जब अतीक और अशरफ दोनों यूपी पुलिस की कस्टडी में थे. पुलिस की तरफ से जानकारी दी गई कि उनका मेडिकल चेकअप कराना था, इसलिए उन दोनों को मेडिकल कॉलेज लेकर आए थे. पुलिस कस्टडी में अतीक और अशरफ की हत्या ने पुलिस के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. इन सवालों पर भी आएंगे, लेकिन उससे पहले सिलसिलेवार तरीके से जान लेतें हैं कि आखिर अतीक और अशरफ की हत्या हुई कैसे?
यूपी पुलिस...
...मीडिया...
...और इनके बीच में चारों तरफ से घिरे अतीक और अशरफ...
....अतीक और अशरफ- आरोपी,
यूपी पुलिस- इनकी सुरक्षा में
और मीडिया- इस पूरे वाकये को कवर कर रही होती है.
....इन तीनों के बीच- 3 हमलावरों की उपस्थिति
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को लेकर पुलिस की गाड़ी प्रयागराज के मेडिकल कॉलेज के सामने रुकती है. मेडिकल कॉलेज के गेट पर गाड़ी जैसे ही रुकती है. उसमें से पहले पुलिसकर्मी निकलते हैं, उसके बाद अतीक का भाई अशरफ निकलता है. अशरफ और अतीक, दोनों के हाथ में एक ही हथकड़ी लगी होती है. दोनों के हाथ एक दूसरे से बंधे होते हैं. अशरफ के उतरने के बाद अतीक गाड़ी से इधर-उधर देखते हुए उतरता है. मीडिया का मजमा लगा होता है.
अतीक और अशरफ जैसे-जैसे मेडिकल कॉलेज की तरफ बढ़ रहे होते हैं, वैसे-वैसे मीडिया के सवाल उन पर दागे जाते हैं. पुलिस अतीक और अशरफ को चारों तरफ से घेरे रहती है. इसी बीच मीडिया की तरफ से एक सवाल होता है कि आप अपने बेटे असद के जनाजे में नहीं गए, इस पर क्या कहेंगे? अतीक कुछ देर चुप रहता है और फिर बोलता है कि "नहीं गए तो नहीं गए"...इस पर अशरफ बीच में बोल पड़ता है कि "मेन बात ये है कि गुड्डू मुस्लिम"...इसके बाद अशरफ की आवाज बंद हो जाती है. अशरफ के ये आखिरी शब्द होते हैं. इसके बाद तो सिर्फ गोलियों की आवाज सुनाई देती है. मीडिया के कैमरे इधर-उधर फ्लैश होने लगते हैं, जिसको जिधर जगह मिलती है, वो उधर ही भागने लगता है...
दरअसल, जब अशरफ मीडिया के सवालों का जवाब दे रहा होता है, तब वो अतीक अहमद की दाईं तरफ होता है...अतीक अहमद उसकी बाईं तरफ. अतीक का दायां हाथ और अशरफ का बायां हाथ एक दूसरे से हथकड़ी से बंधे होते हैं. मेडिकल कॉलेज के गेट से चंद कदम की दूरी पर अतीक के बायें साइड से एक हमलावर आता है और दो पुलिसकर्मियों के बीच से पिस्टल तानकर अतीक के सिर में गोली मार देता है. अतीक वहीं पर ढेर हो जाता है. हमलावर की दूसरी गोली अशरफ के गर्दन को निशाना बनाती है. वो भी जमीन पर गिर पड़ता है. पुलिस और मीडिया दोनों आवाक रह जाते हैं. जिसको जिधर जगह मिलती है, वो उधर जान बचाने के लिए भागता है. तब तक दो हमलावर और आ जाते हैं. तीन तरफ से अतीक और अशरफ पर गोलियां बरसाई जाती हैं. इसके बाद हमलावर धार्मिक नारा लगाते हुए खुद को सरेंडर कर देते हैं. पुलिस तीनों आरोपियों को पकड़कर थाने ले जाती है.
आखिर यूपी पुलिस की कस्टडी में अतीक और अशरफ की हत्या कैसे हो गई?
जब यूपी पुलिस जान रही थी कि अतीक और अशरफ के दुश्मन भी इस शहर में मौजूद हैं, तो फिर उसकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ क्यों किया गया?
जब ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अतीक पर हमला हो सकता है, इसके इनपुट मिले हैं, तो फिर अतीक की सुरक्षा क्यों नहीं बढ़ाई गई?
जब अतीक और उसके परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हत्या की आशंका जताई थी, उसके बावजूद इतने कम सुरक्षाकर्मी क्यों थे?
जब आरोपी तीन तरफ से अतीक और अशरफ पर गोलियां बरसा रहे थे और धार्मिक नारे लगा रहे थे, तो यूपी पुलिस ने जवाबी फायरिंग क्यों नहीं की?
एनकाउंटर में अपराधियों को ढेर करने वाली यूपी पुलिस की एक भी गोली उस वक्त क्यों नहीं चली?
अतीक और अशरफ की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों के पास क्या बंदूक नहीं थी?
एक फुटेज में साफ दिख रहा कि गोली लगने के बाद भी अतीक सांस ले रहा है, तो फिर उसे अस्पताल में तुरंत भर्ती क्यों नहीं कराया गया?
कुछ ऐसे सवाला हैं, जो यूपी पुलिस को जल्द से जल्द देने होंगे? फिलहाल, सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पूरे यूपी में धारा 144 लागू कर दी गई है.
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