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अगस्ता वेस्टलैंड केस में इटली की मिलान कोर्ट ने दो आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. इन आरोपियों में अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर बनाने वाली कंपनी फिनमेक्कैनिका के पूर्व प्रेसिडेंट भी शामिल थे.
इस फैसले का असर भारत में चल रहे केस पर भी पड़ता बताया जा रहा था, लेकिन सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने साफ कहा है कि फिनमेक्कैनिका और अगस्ता वेस्टलैंड के अधिकारियों गियूसेपे ओरसी और ब्रूनो स्पेगनोलिनी को बरी किये जाने से एजेंसी के मामले पर कोई असर नहीं होगा क्योंकि उसका मामला मजबूत साक्ष्यों के साथ स्वतंत्र जांच पर आधारित है.
यूपीए सरकार-2 के समय फरवरी 2010 में इटली की कंपनी फिनमेक्कैनिका की सहायक कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के साथ वीआईपी हेलिकॉप्टर के लिए करार किया गया था. करार के मुताबिक 3,600 करोड़ रुपये में 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर खरीदे जाने थे. इन हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और दूसरे वीवीआईपी लोगों के लिए किया जाना था.
दरअसल, साल 2013 में इटली की जांच एजेंसियों ने अगस्ता वेस्टलैंड की पेरेंट कंपनी फिनमेक्कैनिका के सीईओ को रिश्वत देने के मामले में गिरफ्तार किया था. इस मामले में इटली के मिलान कोर्ट ने करप्शन की बात कही, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा. भारत में इस मामले के जांच के आदेश दिए गए.
पुराने MI- 8 हेलिकॉप्टरों में ज्यादा ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता नहीं बताई जा रही थी. वायुसेना 6 हजार मीटर ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हेलिकॉप्टर खरीदना चाह रही थी, शुरुआत में हेलिकॉप्टर की उड़ान क्षमता 6000 मीटर रखी गई थी, आरोप है कि बाद कंपनी से लिए कंपनी से लिए जाने वाले हेलिकॉप्टरों की उड़ान सीमा इतनी नहीं थी, जिसके चलते हेलिकाॅप्टर कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए ये सीमा घटाकर 4500 मीटर कर दी गई. आरोप है कि रिश्वत के जरिए ऊंचाई से जुड़े पैरामीटर में तब्दीली की गई थी.
इस हाईप्रोफाइल मामले में पूर्व एयर चीफ एसपी त्यागी समेत 18 लोगों पर केस दर्ज किया गया है. जिस वक्त ये डील फाइनल हुई थी, उस वक्त केंद्र में यूपीए की मनमोहन सरकार थी और त्यागी एयरचीफ के पद पर थे.
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