Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मां सिलती हैं कपड़े-पिता की जूते-चप्पल की दुकान,बेटी ने ऐसे पास की CA की परीक्षा

मां सिलती हैं कपड़े-पिता की जूते-चप्पल की दुकान,बेटी ने ऐसे पास की CA की परीक्षा

कोमल के पिता मुंजाजी इंगोले की सतारा इलाके में चप्पल-जूते बेचने की एक छोटी सी दुकान है.

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>&nbsp;कोमल इंगोले अपने माता-पिता के साथ</p></div>
i

 कोमल इंगोले अपने माता-पिता के साथ

(फोटो- क्विंट हिंदी) 

advertisement

परिस्थितियां इंसान को लड़ना सिखाती हैं...इस कहावत को औरंगाबाद (Aurangabad) की कोमल इंगोले ने सही साबित कर दिखाया है. घर की स्थिति ठीक नहीं होने के बाद भी मां-पिता की कड़ी मेहनत और खुद की लगन से सीए की परीक्षा पास की. जानते हैं कि कैसी रही कोमल इंगोले के संघर्ष की कहानी.

मां की जिद पर पढ़ाई हुई सरल

कोमल की मां उनके जीवन की प्रेरणा बनीं. मां अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देने के लिए दृढ़ थी और वह इसके लिए कुछ भी करने को तैयार थी. जिसे देखकर कोमल का पढ़ाई में मन लगा. आठवीं कक्षा तक एक मराठी स्कूल में पढ़ने के बाद उन्होंने नवोदय की परीक्षा देकर सीबीएससी पाठ्यक्रम के लिए पढ़ाई शुरू कर दी.

उन्हें नरसी मोनजी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक में दाखिला मिला जो देश का प्रमुख कॉमर्स कोर्स है. घर की हालत खराब होने के कारण वे पांच सौ रुपये महीना खर्च कर सकते थे. चूंकि यात्रा के लिए प्रतिदिन बीस रुपये खर्च होते हैं, इसलिए वह कड़ी मेहनत करती थी और पैदल यात्रा करती थी.

कॉलेज और कक्षाओं में जाने में समय व्यतीत होने के कारण छात्रावास जाकर दोपहर का भोजन करना संभव नहीं था. ढाई साल तक ज्यादातर दिन दोपहर का खाना नहीं खाया. केवल पढ़ाई पर ध्यान देते हुए उन्होंने रोजाना सोलह घंटे पढ़ाई कर अपनी तैयारी पूरी की और अपनी मेहनत के फलस्वरूप सीए की परीक्षा पास की. वह अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय अपनी मां को देती हैं.

मां ने बेटी की पढ़ाई के लिए किया कड़ा संघर्ष...

कोमल के समझदार होने के कारण उनकी मां चाहती थी कि उसकी बेटी अंग्रेजी स्कूल में पढ़े, इसलिए वह उसे बचपन में एक अंग्रेजी स्कूल में ले गई. लेकिन उस समय यह कहा गया था कि बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा तभी दी जाएगी जब उनके माता-पिता ग्रेजुएट होंगे. तो मां जानती थी कि उसकी तरह उसकी बेटी को भी पढ़ाई के लिए संघर्ष करना पड़ेगा.

लेकिन कोमल जिद पर अड़ी रही और उसने अपनी मां के सपने को पूरा करने की दिशा में अपनी यात्रा शुरू कर दी. जिसे देख मां भी उसके लिए मेहनत करने लगी. मुंबई में रहना और एक बड़े कॉलेज में पढ़ना, एक अच्छी कोचिंग क्लास में अपनी पढ़ाई पूरी करना कोई बड़ी बात नहीं थी. लेकिन मां ने कंपनी में आठ घंटे काम किया और घर आकर दूसरे लोगों के कपड़े सिलने का काम किया. कोमल की मां विजयमाला इंगोले ने कहा कि अब वह बहुत खुश है क्योंकि उसकी मेहनत रंग लाई है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

पिता की हालत गंभीर..

कोमल के पिता मुंजाजी इंगोले की सतारा इलाके में चप्पल-जूते बेचने की एक छोटी सी दुकान है. पहले कारोबार अच्छा चल रहा था, लेकिन कारोबार में उतार-चढ़ाव के कारण स्थिति खराब हो गई. इसलिए उन्होंने जूतें-चप्पल सिलने का काम शुरू कर दिया. घर में उनके दो लड़के और एक लड़की है. कोमल के पिता मुंजाजी इंगोले ने कहा कि यह सुनकर कि उसने परीक्षा पास कर ली है, उसकी आंखों के सामने उसका पूरा जीवन घूम गया.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT