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धुंध से जूझ रही है दिल्ली, ग्रीन फंड में पड़ा है 1500 करोड़

दिल्ली प्रशासन के पास पड़ा रहा ग्रीन फंड, प्रदूषण ने निपटने के लिए नहीं किया खर्च

द क्विंट
भारत
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दिल्ली प्रशासन के पास पड़ा रहा ग्रीन फंड, प्रदूषण ने निपटने के लिए नहीं किया खर्च
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दिल्ली प्रशासन के पास पड़ा रहा ग्रीन फंड, प्रदूषण ने निपटने के लिए नहीं किया खर्च
(फोटोः PTI)

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दिल्ली बीते लगभग दस दिनों से स्मॉग से जूझ रही है. पब्लिक परेशान है. धुंध के कहर पर दो-चार दिन खूब हो हल्ला हुआ. लेकिन इससे निपटने के कोई खास इंतजाम नहीं किए गए. दिल्ली सरकार ने भी पड़ोसी राज्यों और केंद्र की सरकार से मदद न मिलने का रोना तो खूब रोया, लेकिन खुद इस खतरे से निपटने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए. ऐसा नहीं था कि दिल्ली प्रशासन के पास पैसे की कोई कमी थी. दिल्ली प्रशासन के पास 1500 करोड़ रुपये ग्रीन फंड कै तौर पर जमा किए गए थे, जिसका इस्तेमाल वायु प्रदूषण से निपटने के लिए किया जाना था. लेकिन इसका बड़ा हिस्सा इस्तेमाल ही नहीं किया गया.

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रीन फंड के तौर पर दिल्ली में अथॉरिटीज के पास 1,500 करोड़ रुपये से ज्यादा पैसा इस्तेमाल नहीं होने की वजह से पड़ा हुआ है, जबकि दिल्ली जहरीली धुंध से राहत पाने के लिए मशक्कत कर रही है.

पर्यावरण मुआवजा शुल्क से आया 1003 करोड़

इस रकम का बड़ा हिस्सा और 1,003 करोड़ रुपया (10 नवंबर तक) पर्यावरण मुआवजा शुल्क (ईसीसी) से आया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में एंट्री करने वाले ट्रकों पर 2015 में लगाया था. वहीं, बाकि रकम प्रति लीटर डीजल बिक्री पर लगाए गए सेस(उपकर) से प्राप्त हुआ. यह सेस 2008 से प्रभावी है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली - एनसीआर में 2000 सीसी और इससे ज्यादा की क्षमता वाले इंजन के साथ डीजल कारें बेचने वाले डीलरों से जमा किए एक फीसदी सेस से 62 करोड़ रुपये जमा किए. यह कदम पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश के बाद उठाया गया था.

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दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के पास है जमा है 500 करोड़ रुपया

सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरनमेंट (सीएसई) में शोधार्थी उस्मान नसीम ने बताया कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम ईसीसी जमा करता है और यह रकम शहर के परिवहन विभाग को हर शुक्रवार को जमा करता है. डीजल पर सेस की घोषणा शीला दीक्षित सरकार ने दिसंबर 2007 में की थी. इसने वाहनों से होने वाले प्रदूषण के मद्देनजर वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की कोशिश के तहत यह कदम उठाई थी.

नसीम ने बताया कि एयर एंबीयेंस फंड का रखरखाव दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) करती है. इसके पास फिलहाल करीब 500 करोड़ रुपया जमा है.

ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट कर रहा है ई बसें खरीदने की तैयारी

संपर्क किए जाने पर दिल्ली परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के लिए इस कोष का इस्तेमाल करने का फैसला बीते मंगलवार लिया गया. हम इलेक्ट्रिक बसों के लिए इस कोष का इस्तेमाल करेंगे. हालांकि, फिलहाल इस बात की पुष्टि नहीं की गई है कि कितनी संख्या में ई बसें खरीदने की सरकार की योजना है और इसके लिए कितनी रकम की जरूरत है.

सुप्रीम कोर्ट के साल 2016 के आदेश के मुताबिक, ईसीसी से करीब 120 करोड़ रुपये का इस्तेमाल ट्रकों पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटीफिकेशन डिवाइस लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा ताकि प्रभावी और विश्वसनीय लेवी वसूल हो सके.

वहीं, सीपीसीबी की योजना ग्रीन फंड का इस्तेमाल दिल्ली में एयर क्वालिटी में बेहतरी और प्रबंधन को लेकर स्टडी पर खर्च करने की है.

(इनपुट समाचार एजेंसी भाषा से)

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Published: 16 Nov 2017,09:34 AM IST

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