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World Autism Awareness Day: ऑटिज्म से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई| Photos
World Autism Awareness Day 2023 Photos: ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से जुड़े मिथकों की सच्चाई तस्वीरों में जानें.
अश्लेषा ठाकुर
भारत
Published:
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World Autism Day 2023 | क्या ऑटिज्म एक बीमारी है?
(फोटो:iStock)
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World Autism Awareness Day 2023: ऑटिज्म एक स्पेक्ट्रम विकार है, जो ब्रेन में विकासात्मक अक्षमता के कारण होता है. एएसडी से पीड़ित व्यक्ति को कम्युनिकेशन और सामाजिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. उनमें दोहराए जाने वाले व्यवहार पैटर्न भी दिख सकते हैं. ज्यादातर मामलों में ये समस्या बचपन में शुरू होती है. इसके लक्षण और विकार की गंभीरता एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग देखने को मिलती है. ऑटिज्म से जुड़े कई मिथक समाज में मौजूद हैं. फिट हिंदी ने गुरुग्राम, मेदांता में पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर एंड इमरजेंसी के डायरेक्टर और एचओडी, डॉ. राजीव उत्तम से ऑटिज्म से जुड़े मिथक और उसकी सच्चाई के बारे में जाना.
मिथक: ऑटिज्म एक बीमारी है.
तथ्य: ऑटिज्म एक न्यूरो-विकासात्मक विकार (neuro-developmental disorder) और मानसिक विकार है, जो लोगों के बातचीत करने के तरीके और लोगों के साथ मिलने जुलने के तरीके को प्रभावित करता है. यह एक बीमारी नहीं है और ऑटिस्टिक लोग "बीमार" नहीं होते हैं. थेरेपी और प्रोफेशनल हेल्प से इसे मैनेज करने में मदद मिलती है.
(फोटो:iStock)
मिथक: ऑटिज्म से प्रभावित लोग भावनाओं को महसूस नहीं करते.
तथ्य: ऑटिज्म से ग्रसित बच्चा/व्यक्ति सभी भावनाओं को महसूस कर सकते हैं, लेकिन उन्हें दूसरे लोगों से बातचीत करने और मिलने जुलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. इस वजह से अक्सर उन्हें गलत समझा जाता है. हालांकि मेडिकल हेल्प और थेरेपी के साथ वे दूसरे लोगों से जुड़ना और सामाजिक संकेतों को सही ढंग से समझना सीख सकते हैं.
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मिथक: ऑटिज्म का इलाज संभव है.
तथ्य: ऑटिज्म एक ऐसा विकार है, जिसका इलाज संभव नहीं है. यह आजीवन चलने वाला विकार है और इसे थेरेपी या दवा के जरिए ठीक नहीं किया जा सकता है. ऑटिज्म लोगों को कई तरीकों से प्रभावित करता है और उनके जीवन के कई चरणों में बदलाव लाता है, क्योंकि यह एक स्पेक्ट्रम विकार है. हालांकि, सही थेरेपी और हस्तक्षेप (intervention) के साथ, ऑटिस्टिक व्यक्ति एक खुशहाल जीवन जी सकते हैं.
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मिथक: ऑटिस्टिक लोग बौद्धिक रूप (intellectually) से अक्षम होते हैं और बोलने में असमर्थ होते हैं.
तथ्य: ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से पीड़ित व्यक्तियों की योग्यताएं और फंक्शन अलग होता हैं. कुछ में बौद्धिक अक्षमता या बोलने में कठिनाई हो सकती है, वहीं कुछ में नहीं.
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मिथक: ऑटिज्म से पीड़ित लोग स्वतंत्र रूप से जीने या सफल करियर बनाने में सक्षम नहीं होते हैं.
तथ्य: यह सच नहीं है. ऑटिज्म व्यक्तियों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करता है और कुछ व्यक्तियों को दूसरों की सहायता की आवश्यकता हो सकती है, वहीं कई ऑटिस्टिक व्यक्ति स्वतंत्र रूप से रहने और सफल करियर बनाने में सक्षम होते हैं. सही सहायता और संसाधनों के साथ ऑटिज्म से पीड़ित लोग शिक्षा, रोजगार और सामाजिक संबंधों जैसे कई क्षेत्रों में उन्नति कर सकते हैं.
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मिथक: ऑटिज्म सिर्फ बच्चों में होता है.
तथ्य: ऑटिज्म एक आजीवन विकास संबंधी विकार है. बचपन में लक्षण अधिक दिखाई दे सकते हैं मगर ऑटिस्टिक सिम्पटम्स बड़े होकर भी बरकरार रहते हैं. कई वयस्कों में इसके लक्षण बचपन गुजर जाने के बाद ही डायग्नोज हो पाता है.
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मिथक: सभी ऑटिस्टिक लोगों में लक्षण समान होते हैं.
तथ्य: ऑटिस्टिक लोगों में अलग-अलग लक्षण और योग्यताएं हो सकती हैं. बातचीत करने में कठिनाई, सेंसरी प्रोसेसिंग में दिक्कत और बार-बार एक ही चीज दोहराना जैसे विकार देखने को मिलते हैं. ऑटिज्म से पीड़ित हर व्यक्ति दूसरे से अलग होता है.
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मिथक: ऑटिस्टिक बच्चे अधिक हिंसक होते हैं.
तथ्य: ऑटिस्टिक बच्चों का अधिक हिंसक होना एक गलत धारणा है. हालांकि कुछ लोग अपने आप को व्यक्त करने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं, लेकिन यह सच नहीं है कि वे जानबूझकर हिंसक हैं या नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं. इसके अलावा यह देखा गया है कि ऑटिज्म से पीड़ित कई ऑटिस्टिक बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त और नियंत्रित करने में कठिनाई महसूस करते हैं.
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मिथक: वैक्सीन के कारण ऑटिस्टिक होना संभव है.
तथ्य: ऑटिस्टिक होना एक विकासात्मक विकार है. यह टीकों के कारण नहीं होता है और यह साइंटिफिक रिसर्च द्वारा साबित भी हो चुका है. वैक्सीन सुरक्षित होते हैं और ऑटिस्टिक होने का कारण नहीं होते.