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अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगातार 40 दिन सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पांच जजों की संविधान बेंच के सामने आखिरी दिन की सुनवाई के दौरान कई बार माहौल गरम हुआ. लेकिन सुनवाई पूरी होने से पहले ही एक खबर तेजी से फैलनी शुरू हो गई. जिसमें दावा किया गया कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से प्रमुख याचिकाकर्ता सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जमीन पर दावा वापस ले लिया है.
वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में अब ये भी कहा जा रहा है कि मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट में समझौते की बात कही गई है. लेकिन अभी तक ये सभी दावे हवाई साबित हो रहे हैं. सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से इस पर कोई भी आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है.
इन अफवाहों के चलते सभी की जुबान पर एक ही बात थी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले ही वक्फ बोर्ड अपना दावा छोड़कर केस वापस ले लिया है. ऐसे में अब फैसला हिंदू पक्ष की तरफ ही आएगा. इन सभी अफवाहों के बाद क्विंट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकीलों से बात करने की कोशिश की और पूछा कि क्या उनकी तरफ से दावा छोड़ दिया गया है?
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने भी इस बात को खारिज किया कि केस छोड़ने के लिए बोर्ड की तरफ से कोई भी अर्जी दाखिल नहीं की गई थी.
अयोध्या केस में एक और याचिकाकर्ता इकबाल अंसारी के वकील एमआर शमशाद ने कहा कि बोर्ड ने इस तरह का कोई भी बयान जारी नहीं किया है. उन्होंने कहा कि इस मामले में 6 और मुस्लिम याचिकाकर्ता शामिल हैं. जिसमें से सुन्नी वक्फ बोर्ड एक पार्टी है और उसका किसी भी अन्य मुस्लिम पक्ष पर कोई प्रभाव नहीं है.
केस वापस लेने के अलावा मध्यस्थता कमेटी की रिपोर्ट में समझौते को लेकर भी कई खबरें सामने आई हैं. जिसमें बताया जा रहा है कि मुस्लिम पक्ष ने जमीन विवाद पर समझौता करने का फैसला लिया है. ये भी दावा किया जा रहा है कि मुस्लिम पक्ष विवादित जमीन पर मंदिर निर्माण को लेकर भी लगभग राजी हो चुका है.
बता दें कि अब इस मामले को लेकर गुरुवार को पांच जजों की बेंच चेंबर में बैठेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट को लेकर आगे के रास्ते पर विचार करेगा. इस मामले पर आने वाले कुछ हफ्तों में फैसला आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, इससे पहले फैसला आने की उम्मीद है.
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