Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019SC में मुस्लिम पक्ष-सिर्फ हमसे पूछे जा रहे सवाल,हिंदू पक्ष से नहीं

SC में मुस्लिम पक्ष-सिर्फ हमसे पूछे जा रहे सवाल,हिंदू पक्ष से नहीं

2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चौदह अपील दायर की गई हैं

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 38वें दिन इस मामले की सुनवाई कर रही है.
i
14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 38वें दिन इस मामले की सुनवाई कर रही है.
(फोटो: द क्विंट)

advertisement

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने आरोप लगाया कि इस मामले में हिन्दू पक्ष से नहीं बल्कि सिर्फ उनसे ही सवाल किये जा रहे हैं.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष 38वें दिन की सुनवाई शुरू होने पर मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने यह टिप्पणी की.

ये टिप्पणी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5-जजों की संविधान पीठ के समक्ष मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने की है. सुप्रीम कोर्ट में 38वें दिन की सुनवाई के दौरान धवन ने कहा, ‘‘माननीय न्यायाधीश ने दूसरे पक्ष से सवाल नहीं पूछे. सारे सवाल सिर्फ हमसे ही किये गये हैं. निश्चित ही हम उनका जवाब देंगे.’’

'राम लला' का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन ने धवन का विरोध किया. उन्होंने कहा, ''यह पूरी तरह से अनुचित है.''

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

राजीव धवन की टिप्पणी उस वक्त आई, जब मामले की सुनवाई कर रहे जजों की बेंच में जस्टिस एसए बोबड़े, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एसए नाजेर शामिल हैं. बेंच ने कहा, विवादित जगह पर लोहे की रेलिंग खड़ी करने के पीछे का विचार अंदर के इलाके को बाहरी इलाके से अलग करना था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा-

कोर्ट ने कहा कि लोहे का ग्रिल लगाने का मकसद हिन्दुओं और मुसलमानों को अलग अलग करना था और यह तथ्य सराहनीय है कि हिन्दू बाहरी बरामदे में पूजा अर्चना करते थे जहां ‘राम चबूतरा’, ‘सीता रसोई’ ‘भण्डार गृह’ थे.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सुप्रीम कोर्ट ने धवन के इस कथन का भी संज्ञान लिया कि हिन्दुओं को सिर्फ अंदर प्रवेश करने और स्थल पर पूजा अर्चना करने का ‘निर्देशात्मक अधिकार’ था और इसका मतलब यह नहीं है कि विवादित संपत्ति पर उनका मालिकाना हक था.

पीठ ने सवाल किया कि जैसा कि आपने कहा कि उनके पास प्रवेश और पूजा अर्चना का अधिकार था, क्या यह आपके मालिकाना अधिकार को कमतर नहीं करता. पीठ ने यह भी कहा कि संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व के मामले में क्या किसी तीसरे पक्ष को प्रवेश और पूजा अर्चना का अधिकार दिया जा सकता है.

संविधान पीठ दशहरा अवकाश के बाद सोमवार को 38वें दिन इस प्रकरण पर सुनवाई शुरू की जो 17 अक्टूबर तक जारी रहेगी.

बता दें, 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चौदह अपील दायर की गई हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ की जमीन को तीन पक्षों (सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला) के बीच समान रूप से बांट दिया गया था.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 14 Oct 2019,05:09 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT