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केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अयोध्या मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और जमीयत उलेमा-ए-हिंद को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा है कि अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका की बात करने वाले लोग बिखराव और टकराव का माहौल पैदा करने की कोशिश में हैं, लेकिन समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा.
बता दें कि अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था. इस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि विवादित जमीन हिंदुओं को दी जाए. इसके साथ ही उसने कहा था कि केंद्र 3 महीने के अंदर योजना बनाए और मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन करे, मुस्लिमों (सुन्नी वक्फ बोर्ड) को मस्जिद के लिए दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दी जाए.
इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका को लेकर रहमानी ने 1 दिसंबर को कहा, ''मुस्लिमों का न्यायपालिका पर भरोसा है, इसलिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा रही है. हालांकि यह भरोसा अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कमजोर हुआ है.'' उन्होंने कहा, ''हमें लगता है कि हमारी याचिका खारिज हो जाएगी. इसका मतलब यह नहीं है कि हम इसे दाखिल ना करें. यह हमारा कानूनी हक है. फैसले में कई विरोधाभास हैं.''
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नकवी ने कहा मुस्लिम समाज के लिए अहम मुद्दा ''सिर्फ बाबरी नहीं, बराबरी (शिक्षा और सामाजिक सशक्तीकरण में) भी है.'' AIMPLB और जमीयत पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, '' कुछ अलग-थलग पड़ी आवाजें हैं जो पूरे समाज की नहीं हैं. सभी वर्गों की भावना यही है कि कोर्ट से मामला हल हो गया है और हमें आगे बढ़ना चाहिए. हमें इसमें उलझना नहीं चाहिए."
उन्होंने कहा, '' ये लोग बिखराव और टकराव का माहौल बनाने की कोशिश में हैं, लेकिन कोई भी समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा." मंत्री ने कहा, ''आदर्श स्थिति यह होगी कि ऐसे दशकों पुराने मामले को उलझाने की कोशिश न हो जिसका समाधान कोर्ट ने सर्वसम्मति के फैसले से कर दिया है.''
नकवी ने कहा, ''समाज के सभी वर्गों ने फैसले का सम्मान किया, लेकिन अगर कुछ लोगों को इस फैसले के बाद देश में दिखी एकता हजम नहीं हो रही है तो दुखद है.'' यह पूछे जाने पर कि पुनर्विचार याचिका अयोध्या मामले में नया अध्याय खोलने की कोशिश है तो नकवी ने कहा कि देश यह स्वीकार नहीं करेगा और लोगों के लिए यह मामला अब खत्म हो गया है.
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