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अयोध्या पर भड़काऊ या राष्ट्र विरोधी कार्यक्रम न चलाएं चैनलः सरकार

सभी राजनीतिक दलों ने फैसले का स्वागत किया है 

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भारत
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केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि कोई भी ऐसा कार्यक्रम न चलाएं जो देशद्रोह का प्रचार करता हो
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केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि कोई भी ऐसा कार्यक्रम न चलाएं जो देशद्रोह का प्रचार करता हो
(फोटो: Shruti Mathur/The Quint)

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अयोध्या भूमि विवाद पर शनिवार 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया. एकमत से दिए गए फैसले में विवादित भूमि का मालिकाना हक राम जन्मभूमि न्यास को दिया गया है. इस कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने चैनलों के लिए विशेष गाइडलाइन जारी की है, जिसमें सख्त हिदायत दी है कि किसी भी तरह के इस चैनल किसी भी तरह के भड़काऊ या अपमानजनक कार्यक्रम का प्रसारण न करें.

सुप्रीम कोर्ट ने करीब 40 दिन की सुनवाई के बाद शनिवार को अपना फैसला सुनाया. फैसले में कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही एक खास जगह पर 5 एकड़ की जमीन मस्जिद के लिए भी देने का आदेश दिया है.

इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी राजनीतिक दलों ने संतुलित प्रतिक्रिया दी है और फैसले का सम्मान करने की बात कही है.

हालांकि, फैसले के बाद आने वाले वक्त में माहौल न बिगड़े इसके लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने तत्काल गाइडलाइन भी जारी की. सभी प्राइवेट सैटेलाइट, डीटीएच और केबल ऑपरेटर्स को जारी अपनी गाइडलाइन में मंत्रालय ने कहा है-

“सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद में अपना फैसला सुना दिया है. ऐसे में ये सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में होने वाली चर्चाओं/बहस/विजुअल्स में किसी भी तरह का भड़काऊ, बांटने वाली या राष्ट्रविरोधी भावनाएं न प्रसारित हों.”
सूचना और प्रसारण मंत्रालय की गाइडलाइन(फोटोः स्क्रीनशॉट)

अपनी गाइडलाइन में मंत्रालय ने चैनलों को केबल टेलीविजन नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट 1995 का हवाला देते हुए कुछ जरूरी प्वाइंट्स का जिक्र किया है, जिसको कड़ाई से पालन करने की हिदायत सभी चैनलों को दी है. इसके तहत चैनलों में प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में कोई भी ऐसा कंटेन्ट न हों, जो-

  • धर्म या संप्रदाय पर हमला करता हो या कोई ऐसा विजुअल या शब्दों का इस्तेमाल, जो धार्मिक समूहों का अपमान करते हों और राष्ट्र विरोधी भावना दर्शाते हों.
  • जो हिंसा को भड़काने वाला हो या कानून व्यवस्था बनाए रखने में बाधा पहुंचाता हो या राष्ट्र-विरोधी भावना का प्रचार करता हो.
  • जो न्यायालय की अवमानना करता हो
  • जो देश की अखंडता को चोट पहुंचाता हो
  • जो देश के किसी भी नागरिक को निजी तौर पर या किसी समूह को, समाज के हिस्से को बदनाम करने वाला या उसकी आलोचना करने वाला हो.
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सूचना और प्रसारण मंत्रालय की गाइडलाइन(फोटोः स्क्रीनशॉट)

अपनी गाइडलाइन में मंत्रालय ने सभी केबल ऑपरेटर्स और डीटीएच ऑपरेटर्स से आग्रह किया है कि इन सभी बिंदुओं का कड़ाई से पालन करें.

इस बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसले का सम्मान करने की बात कही लेकिन साथ ही कहा कि वो इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दाखिल करेंगे.

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Published: 09 Nov 2019,04:09 PM IST

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