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भारत के गणतंत्र दिवस की 71 वीं वर्षगांठ के मौके पर अयोध्या में बहुप्रतीक्षित मस्जिद के लिए नींव रखी जाएगी. इसके लिए राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर हुए अंतिम फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में 5 एकड़ जमीन दी है.
मस्जिद के निर्माण के खाके का अनावरण शनिवार को किया जाएगा, यह एक गोल आकार की संरचना होगी. मस्जिद राम जन्मभूमि स्थल से 20 किमी दूर धन्नीपुर गांव में बन रही है. इसके लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम से मस्जिद निर्माण के लिए 6 महीने पहले ट्रस्ट बनाया था.
इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने कहा,
मस्जिद और अन्य सुविधाओं में मल्टी-स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, कम्युनिटी किचन और लाइब्रेरी शामिल हैं. इस पूरे परिसर का ब्लूप्रिंट मुख्य वास्तुकार प्रोफेसर एस.एम. अख्तर ने बनाया है. प्रोफेसर अख्तर ने आईएएनएस को बताया, "मस्जिद में एक बार में 2,000 नमाजियों के बैठने की क्षमता होगी और इसका स्ट्रक्चर गोल होगा. नई मस्जिद बाबरी मस्जिद से बड़ी होगी, लेकिन यह राम जन्मभूमि परिसर में बनी मस्जिद जैसी नहीं होगी." उन्होंने आगे कहा,
अख्तर ने बताया, "मस्जिद को चलाने के लिए जितनी बिजली की जरूरत होगी, वह सौर ऊर्जा से तैयार होगी. इसका डिजाइन प्राकृतिक तरीके से तापमान को मेंटेन करने पर आधारित है."
उन्होंने कहा, "यह मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल होगा, इसमें उपकरण, स्टाफ लोगों की तत्काल चिकित्सा जरूरतों को लेकर मदद करेंगे. हमने मेडिकल टीमों और हमारे क्षेत्र के लोगों के साथ कुछ सर्वे भी किए हैं जो कुपोषण के मुद्दे को देखेंगे. इसमें बच्चियों से लेकर वयस्क महिलाओं तक पर काम किया जाएगा. अस्पताल के साथ नर्सिग और पैरामेडिकल कॉलेज की स्थापना भी की जा सकती है."
आईआईसीएफ के सचिव अतहर हुसैन ने कहा, "यहां सामुदायिक रसोई होगी जो दिन में 2 बार आसपास के लोगों की अच्छी गुणवत्ता के पोषक भोजन की जरूरतों को पूरा करेगी."
उन्होंने कहा, "अस्पताल की फंडिंग के लिए हम कॉरपोरेट फंडिंग की ओर भी देख रहे हैं. ऐसे कई दानदाता हैं जो इनकम टैक्स के 80जी धारा की मंजूरी मिलने पर मदद करने के लिए तैयार हैं. फिर हम एफसीआरए के लिए जाएंगे और भारतीय मूल के मुसलमानों से विदेशी फंडिंग लेंगे."
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