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अयोध्या के राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई एक बार फिर टल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से दो हफ्तों में दस्तावेज तैयार करने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 14 मार्च तय की है.
इससे पहले 5 दिसंबर में को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट 8 फरवरी की तारीख तय की थी. इस दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने साफ कर दिया था कि अब इस मामले में सुनवाई और नहीं टाली जाएगी. लेकिन दस्तावेजों को लेकर सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर सुनवाई फिर टालनी पड़ी है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा है कि 7 मार्च तक सभी दस्तावेज तैयार कर लिए जाएं.
अयोध्या विवाद की पिछली सुनवाई 5 दिसंबर को हुई थी. इस दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में दलील दी थी कि मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों का अनुवाद अब तक नहीं हो पाया है. लेकिन अब इस मामले से जुड़े हजारों पन्नों के दस्तावेजों का सात अलग-अलग भाषाओं और लिपियों में अनुवाद कर लिया गया है.
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कोई भी पक्षकार मामले की सुनवाई को टालने के लिए क्या दलील देता है. सुप्रीम कोर्ट में 5 दिसंबर को हुई पिछली सुनवाई के बाद से अब तक उत्तर प्रदेश सरकार ने 53 खंडों में तमाम दस्तावेजों के अनुवाद कर लिए हैं. ये दस्तावेज संस्कृत, फारसी, अरबी, पालि, उर्दू समेत सात भाषाओं या लिपियों में हैं.
इस मामले की सुनवाई के लिए बीते साल 7 अगस्त को स्पेशल बेंच का गठन किया गया था. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली इस विशेष बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं.
बता दें कि 21 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने इस मामले को उठाया था. स्वामी ने अयोध्या मामले में जल्दी सुनवाई की मांग की थी. इस पर चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि हम जल्दी सुनवाई कर मामले पर फैसला लेंगे.
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