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पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस में डेरा सच्चा सौदा के चीफ गुरमीत राम रहीम दोषी को दोषी करार दिया गया है. पंचकूला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने राम रहीम समेत तीन अन्य लोगों को हत्या का दोषी पाया. इस मामले में सजा का ऐलान 17 जनवरी को किया जाएगा.
राम रहीम इससे पहले रेप के दो मामलों में जेल की सजा काट रहा है. एक आम आदमी से संत कैसे बना राम रहीम, जानिए.
बाबा राम रहीम डेरा सच्चा सौदा के तीसरे गुरु हैं. माना जाता है कि पूरी दुनिया में डेरा के 5 करोड़ समर्थक हैं. ये सारे समर्थक राम रहीम की हर बात को मानते हैं. उन्हें पूजते हैं लेकिन कैसे शुरु हुआ बाबा के संतत्व का सफर? कैसे बने वो करोड़ों लोगों के धार्मिक नेता? कैसे बीता बाबा का बचपन?
राम रहीम का जन्म राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ. तारीख थी 15 अगस्त 1967. बाबा का जन्म एक जाट-सिख परिवार में हुआ. पिता मगहर सिंह जमींदार थे और मां नसीब कौर हाउसवाइफ. नाम रखा गया गुरमीत सिंह. एक आम बच्चे की तरह जिंदगी गुजर रही थी. वही खेल-कूद. वही मान-मनुहार. वो माता-पिता की इकलौती संतान थे तो लाड़-प्यार भी भरपूर मिला. लेकिन कहां पता था कि बहुत जल्द इस बच्चे की पूरी दुनिया ही बदल जाने वाली है. वो दिन भी जल्द आ गया.
डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 29 अप्रैल 1948 में हुई थी. शाह मस्ताना जी महाराज ने डेरा की स्थापना की. इसके लिए मस्ताना जी ने जगह चुनी हरियाणा का सिरसा. कहा जाता है कि 12 साल तक उन्होंने हजारों-लाखों भक्तों को ध्यान करना सिखाया. मस्ताना जी के बाद गद्दी संभाली सतनाम महाराज ने. सतनाम महाराज ने 90 के दशक की शुरुआत में ही सिरसा के डेरा आश्रम में देश और विदेश के लाखों अनुयायियों को बुलाया. जिनकी मौजूदगी में 23 सितंबर 1990 को एक समारोह में गुरमीत राम रहीम को डेरा सच्चा सौदा की गद्दी सौंप दी गई.
बाबा गुरमीत राम रहीम इंसां, लाखों लोगों के लिए संत हैं. लोग उनके प्रवचनों में शामिल होते हैं, उन्हें सुनते-समझते हैं. उनकी बात मानते हैं. ये लाखों लोग बाबा राम रहीम के लिए परिवार की तरह हैं लेकिन उनका खुद का भी परिवार है. राम रहीम की दो बेटियां और एक बेटा है. बाबा की बड़ी बेटी का नाम चरणप्रीत और छोटी बेटी का नाम अमरप्रीत है. राम रहीम के बेटे की शादी भठिंडा के पूर्व विधायक हरमिंदर सिंह जस्सी की बेटी से हुई है.
बाबा राम रहीम डेरा सच्चा सौदा के 70 साल के इतिहास में तीसरे धर्मगुरु हैं. आज उनके अनुयायी पूरी दुनिया में फैले हैं. डेरा की परंपरा के मुताबिक, जब भी बाबा चाहेंगे, वो अपना उत्तराधिकारी खुद चुनेंगे.
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