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अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के केस में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. 28 साल पुराना ये मामला देश के सबसे अहम केस में से एक है, जिसपर फैसला सुनाने के बाद जज सुरेंद्र कुमार यादव रिटायर भी हो गए. 30 सितंबर को ही उनके रिटायरमेंट का भी दिन था.
इस केस पर अपने फैसले पर सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे पर पीछे से दोपहर 12 बजे पथराव शुरू हुआ था, अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं. कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था. जज ने अखबारों को साक्ष्य नहीं माना और कहा कि वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं हैं.
फैजाबाद जिला जो अब अयोध्या के नाम से जाना जाता है, इससे सुरेंद्र कुमार यादव का पुराना रिश्ता है. 1978 में बीएससी, 1981 में एलएलबी और 1983 में एलएलएम करने वाले सुरेंद्र कुमार यादव को 8 जून साल 1990 में बतौर एडिशनल मुंशिफ पहली पोस्टिंग फैजाबाद में ही मिली थी.
वो यहां 31 मई 1993 तक तैनात रहे. मतलब ये है कि साल 1992 में हुए बाबरी विध्वंस के वक्त वो जिले में ही तैनात थे, अब इस केस का फैसला 30 सितंबर 2020 को जज सुरेंद्र कुमार यादव ने ही सुनाया है. ये अयोध्या प्रकरण का ही केस था जिसकी वजह से सुरेंद्र कुमार यादव एक साल पहले रिटायर नहीं हुए. इस केस के फैसले की वजह से ही उन्हें एक साल का विस्तार मिला हुआ था.
बता दें कि 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले को लेकर रायबरेली की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही को लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया था.
इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतम्भरा और विष्णु हरि डालमिया पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया था. 31 मई 2017 को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अभियोजन की कार्यवाही शुरू हुई थी. 16 सितंबर 2020 को अदालत ने 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाने की बात कही थी.
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