Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बाबरी विध्वंस Exclusive: कैमरे में कैद रिहर्सल की हैरतअंगेज कहानी

बाबरी विध्वंस Exclusive: कैमरे में कैद रिहर्सल की हैरतअंगेज कहानी

क्या आप जानते हैं कि बाबरी विध्वंस अचानक नहीं हुआ था. बाकायदा रिहर्सल हुई थी.

नीरज गुप्ता
भारत
Updated:
बाबरी विध्वंस से एक दिन पहले हुई रिहर्सल को प्रवीण जैन ने किया शूट.
i
बाबरी विध्वंस से एक दिन पहले हुई रिहर्सल को प्रवीण जैन ने किया शूट.
(Photo: सौम्या पंकज/ द क्विंट)

advertisement

6 दिसंबर,1992. वो दिन जिसने भारत की राजनीति का चेहरा बदल दिया. अयोध्या में बाबरी विध्वंस के उस वाकिये के बारे में आपने बहुत देखा, सुना और पढ़ा होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि उससे एक दिन पहले यानी 5 दिसंबर, 1992 को क्या हुआ था.

बाबरी विध्वंस की रिहर्सल कैमरे में कैद

5 दिसंबर को बाबरी विध्वंस की रिहर्सल हुई थी. जी हां.. बाकायदा रिहर्सल, जिसमें दर्जनों कारसेवकों ने शिरकत की थी. पुलिस और प्रशासन की नजरों से छुपकर हुई उस रिहर्सल को अपने कैमरे में कैद किया था इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मौजूदा एसोसिएट एडिटर प्रवीण जैन ने. प्रवीण उस वक्त पायोनियर अखबार में थे.

आडवाणी, जोशी समेत कई बीजेपी नेताओं पर आरोप

रामजन्म भूमि- बाबरी मस्जिद ये जुड़े कई मामलों में से एक लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में चल रहा है. ये मामला है कि क्या विवादित ढांचा ढहाने के पीछे कोई आपराधिक साजिश थी. बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत कई दूसरे नेताओं के खिलाफ आरोप तय करने के बाद मई, 2017 में कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा किया था.

प्रवीण हैं मुख्य गवाह

प्रवीण उस मामले में मुख्य गवाह हैं. क्विंट हिंदी से खास इंटरव्यू में प्रवीण ने बताया:

जज के मुताबिक मैं मुख्य गवाह हूं क्योंकि मैने रिहर्सल देखी है. जिससे साबित होता है कि ये साजिश थी.

5 दिसंबर, 1992 की बात छेड़ते ही उस रिहर्सल के दृश्य प्रवीण की आंखों में तैरने लगते हैं. उन्होंने बताया:

मैने देखा कि पूरे ग्राउंड पर रिहर्सल हो रही थी. लोग फावड़े और बड़े-बड़े हथौड़े लेकर आ रहे थे और प्रदर्शन कर रहे थे. सामने एक बड़ा सा टीला था. टीले के उपर वो प्रैक्टिस कर रहे थे. एक लोहे का ग्रिल जैसा कुछ था उनके पास जो टीले के चारों तरफ लगाया हुआ था और उसके उपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे. वहां से मेरा शॉट दिखाने का मतलब था कि कैसे उन्होंने ग्रिप बनाया है. वही तरीका उन्होंने गुंबद गिराने के लिए इस्तेमाल किया.

क्या हुआ था 6 दिसंबर, 1992 को?

और फिर आया 6 दिसंबर का दिन, जिसकी बात करते हुए आज भी प्रवीण के रौंगटे खड़े हो जाते हैं:

6 दिसंबर को हम वहां पहुंच गए थे. एक मंच तो आडवाणी, जोशी, उमा भारती और दूसरे वीआईपी लोगों के लिए था. एक मंच पर जहां से बाबरी मस्जिद नजर आती थी वहां सारे प्रैस वाले इकट्ठा थे. अचानक लोगों ने हमें पीटना शुरु कर दिया. हम भागे जहां आडवाणी वगैरह थे. मैने आडवाणी जी से खुद बोला कि ‘सर, वो मीडिया वालों को मार रहे हैं. हमें बचाओ’ लेकिन किसी को फिक्र नहीं थी. ‘जय श्री राम’ के नारे लगा रहे थे और सामने गुंबद तोड़ रहे थे.

प्रवीण कहते हैं:

इतने साल हो गए, कोई कार्रवाई नहीं हुई. काफी गवाहों की तो मौत हो चुकी है. कोर्ट का फैसला आएगा तो लोग सुप्रीम कोर्ट चले जाएंगे. ये तो राजनीतिक मुद्दा है. चलता रहेगा.. चलता रहेगा. ये कुछ लोगों का वोट बैंक है. इसका फैसला क्या होगा मुझे नहीं मालूम.

प्रवीण जैन देश के जानेमाने न्यूज फोटोग्राफर हैं. उनका कैमरा पिछले तीन दशकों में भारत की राजनीती में हुई तमाम राजनीतिक घटनाओं का गवाह रहा है.

कैमरा- नीरज गुप्ता, शादाब मोइजी

वीडियो एडिटर- कुणाल मेहरा

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 05 Dec 2017,01:21 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT