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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (8 मई) को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट को बाबरी मस्जिद विध्वंस केस के मामले में फैसला सुनाने के लिए 31 अगस्त 2020 तक की समय सीमा बढ़ा दी है. हालांकि, खबरों के मुताबिक इस मामले में अप्रैल में लखनऊ की निचली अदालत को फैसला देना था. बताया जा रहा है कि अभी भी सभी गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए जा सके हैं. बता दें इस मामले में बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता आरोपी हैं.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएफ नरीमन और सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि, ट्रायल कोर्ट के जज को कार्यवाही पूरी करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का इस्तेमाल करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि,
बताया जा रहा है कि अभी भी सभी गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए जा सके हैं. इसके लिए कोर्ट ने कहा है कि गवाहों के बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी दर्ज किए जाएं.
बाबरी विध्वंस मामले में 32 लोग मुकदमे का सामना कर रहे हैं. इसमें बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती के साथ-साथ मौजूदा सांसद बृजभूषण सिंह और साक्षी महाराज शामिल हैं. विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता भी 32 लोगों में शामिल हैं.
6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था. इस मामले में अयोध्या में दो केस दर्ज किए गए थे. एक बाबरी मस्जिद के विध्वंस की साजिश से संबंधित था और दूसरा भीड़ को उकसाने के खिलाफ. उसके बाद करीब 47 और मामले दर्ज किए गए, जिनमें तोड़फोड़ के मामले शामिल हैं.
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